भारत और इंग्लैंड के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज का आगाज हो चुका है.

हाल ही में असम सरकार ने राज्य में बीफ पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है. अब असम में होटल, रेस्टोरेंट या सार्वजनिक स्थानों पर बीफ नहीं परोसा जाएगा, और लोग सार्वजनिक स्थानों पर बीफ नहीं खा सकेंगे.

इस फैसले की जानकारी असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्सा सरमा ने सोशल मीडिया के जरिए दी. उन्होंने एक्स पर लिखा कि राज्य में अब बीफ का सेवन और परोसने पर प्रतिबंध होगा.

अब सवाल उठता है कि क्या सरकार किसी भी खाद्य पदार्थ पर बैन लगा सकती है? इसका जवाब है हां, सरकार किसी खाद्य पदार्थ पर बैन लगा सकती है और यह कदम विभिन्न कारणों से उठाए जाते हैं.

खाद्य सुरक्षा (food security), धार्मिक मान्यताएं और समाज के विभिन्न हिस्सों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार इस तरह के निर्णय ले सकती है.

हालांकि, असम भारत का पहला राज्य नहीं है, जहां बीफ पर बैन लगाया गया है. इससे पहले 2021 में असम में कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट लागू किया गया था,

जिसके तहत उन क्षेत्रों में स्लॉटर हाउस और बीफ की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जहां हिंदू, सिख और जैन समुदाय बहुसंख्यक थे. साथ ही, मंदिरों या सत्रों के 5 किलोमीटर के दायरे में बीफ पर बैन था.

भारत में लगभग 7.50 करोड़ लोग बीफ खाते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय (6.34 करोड़) है, इसके अलावा 65 लाख ईसाई और 1.26 करोड़ हिंदू बीफ खाते हैं.

मेघालय राज्य में बीफ की खपत सबसे अधिक है, जहां 81 फीसदी लोग बीफ खाते हैं. इसके बाद लक्षद्वीप है, जहां 77 फीसदी लोग बीफ का सेवन करते हैं.