क्या आपको मालूम है नवरात्रि में कलश पर जौ बोने का क्या रहस्य है? जानें

आज 30 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्र 30 मार्च से लेकर 6 अप्रैल तक रहेंगे.

आज रविवार से नवरात्र की शुरूआत हो गई हैं, इसलिए माता हाथी पर सवार होकर आएंगी. शास्त्रों में देवी की हाथी की पालकी को बहुत शुभ माना गया.

नवरात्र का शुभारंभ प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना यानी कलश स्थापना के साथ होता है. 

नवरात्र की घटस्थापना में देवी मां की चौकी लगाई जाती है और 9 दिनों तक मैय्या के 9 अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है. 

ऐसे में आइए, जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और जौ बोने के पीछे का कारण और विशेष महत्व क्या है. 

कलश को तीर्थो का प्रतीक माना जाता है और इसकी स्थापना एक जगह पर सभी देवी-देवताओं का आवाह्नन करने के लिए की जाती है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कलश के विभिन्न भागों में त्रिदेवों का वास होता है. कलश का आकार गोल होता है और इसका मुख छोटा होता है.

कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में ब्रह्मा जी का स्थान माना गया है. 

कलश का मध्य भाग मातृशक्तियों का निवास स्थान माना जाता है. इस कारण से नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. 

नवरात्रि में कलश स्थापना के समय जौ बोना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जौ पहली फसल थी, इसीलिए इसे पूर्ण फसल का दर्जा दिया गया है. 

जौ को सुख-समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है.तेजी से और घने बढ़ते जौ सुख-समृद्धि का संकेत माने जाते हैं.

मान्यता है कि सृष्टि की रचना के बाद सबसे पहले जौ ही उगा था. इसी कारण से नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना के समय जौ या जवारे बोए जाते हैं.