दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश चीन पिछले साल से ही अपनी खराब आर्थिक हालत को लेकर चर्चा में है.
चीन इन दिनों कई समस्याओं का सामना कर रहा है. इनमें से कम विदेशी निवेश, युवाओं की रिकॉर्ड बेरोजगारी, विकास दर, कमजोर मुद्रा, कम निर्यात और प्रॉपर्टी सेक्टर का संकट प्रमुख है.
जानकारों की मानें तो साल 2023 में चीन की अर्थव्यवस्था में जो गिरावट शुरू हुई थी उसमें इस साल भी यानी 2024 में भी वापसी की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है.
इस बीच अपनी अर्थव्यवस्था में खराब कर्ज की समस्या से निपटने के लिए चीन बड़ी संख्या में छोटे बैंकों का विलय कर रहा है.
कुछ अर्थशास्त्रियों के मुताबिक चीन की खराब अर्थव्यवस्था का असर कई मल्टीनेशनल कंपनियों और उनके कर्मचारियों पर भी पड़ सकता है
चीन की अर्थव्यवस्था क्यों बर्बादी के कगार पर, 3 प्वाइंट में समझिए
आसान भाषा में ऐसे समझिए कि चीन ने लगभग 45% ग्रोथ इनवेस्टमेंट आधारित किया है. चीन की जनता ने अपने कुल निवेश का लगभग 70% रियल एस्टेट में कर रखा है.
इस देश के बैंक के मुताबिक साल 2022 के आखिर तक यहां के लगभग 78 करोड़ चीनी नागरिक कर्ज में डूब चुके थे और उन पर सारा कर्ज रियल एस्टेट का था. .
रिपोर्ट के अनुसार करीब 22 करोड़ लोगों ने शेयर बाजार में इन्वेस्ट किया था. यहां पिछले तीन सालों में 50% तक का गिरावट दर्ज की जा चुकी है.
दरअसल चीन के लोगों को दुनिया में सबसे ज्यादा बचत करने वाले लोगों में गिना जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार इस देश में साल 2022 में आम लोगों ने बैंकों में 2.5 लाख करोड़ डॉलर जमा कराए थे.
2023 की पहली तिमाही में 1.4 लाख करोड़ डॉलर और जमा कराए. ऐसे में एफडी में जमा बढ़ने से बैंकों का नेट इंटरेस्ट मार्जिन कम हो रहा है.