भारत के इस डॉक्टर की पूजा करते हैं चीन के लोग, जानें इसका कारण
1937 में चीन और जापान के बीच लड़ाई शुरू हुई थी. जब जापान ने चीन पर हमला किया था, उस वक्त चीन ने अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के तमाम देशों से मदद मांगी थी.
उस वक्त चीनी जनरल ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी चिट्ठी लिखी थी. हालांकि उस वक्त भारत खुद आजाद नहीं था.
लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मानवता के नाते चीन में डॉक्टरों की एक टीम भेजने को लेकर कई लोगों से विचार करना शुरू किया था.
पंडित जवाहरलाल नेहरू की बात को उस वक्त कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं ने माना और भारतीय डॉक्टरों की टीम को भेजने के लिए लोगों से अपील की गई थी.
कांग्रेस ने इस सार्वजनिक अपील को जारी किया था और कहा था जो लोग इस डॉक्टर्स की टीम का हिस्सा बनना चाहते हैं, वह अपना नाम कांग्रेस पार्टी को सौंप सकते हैं.
महाराष्ट्र के सोलापुर में पैदा हुए द्वारकानाथ कोटनिस को जब कांग्रेस की अपील के बारे में पता चला, तो उन्होंने तुरंत चीन जाने का मन बना लिया था.
साल 1938 में कांग्रेस ने इसके लिए पांच डॉक्टरों की एक टीम बनाई और उन्हें चीन रवाना कर दिया था.
उस समय कांग्रेस ने इन डॉक्टरों को चीन भेजने के लिए 22000 रुपये चंदा जुटाया था और मेडिकल सामान के साथ इन्हें चीन रवाना किया था.
बता दें कि उस समय चीन की मदद के लिए एशिया के किसी देश से पहुंचने वाली भारत की पहली टीम थी.
चीन पहुंचने के बाद डॉ. कोटनिस समेत सभी भारतीय डॉक्टरों की टीम अगले साढ़े तीन साल चीन के अलग-अलग प्रांतों में चीनी सैनिकों का इलाज कर रही थी.
इस दौरान डॉ. कोटनिस ने चीनी सैनिकों के जीवन के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. कहा जाता है कि साल 1940 में उन्होंने करीब 72 घंटे लगातार ऑपरेशन किया था.
कुछ मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक डॉक्टर कोटनिस ने अकेले 800 से ज्यादा चीनी सैनिकों का इलाज करके उनकी जान बचाई थी.
डॉक्टर कोटनिस को आज भी चीन के लोग बहुत मानते हैं. इतना ही नहीं चीन के कई मेडिकल कॉलेज, म्यूजियम और स्कूल उनके नाम पर है. चीन में कई जगह उनकी प्रतिमाएं लगी हुई हैं.
जानकारी के मुताबिक साल 2014 में जब शी जिनपिंग भारत दौरे पर आए थे, तब उन्होंने भी डॉक्टर कोटनिस की बहन से दिल्ली में मुलाकात करके झुककर अभिवादन किया था.