CJI गवई ने बताई पिता की ऐसी बात, भर आई सबकी आंख, सुनाई भावुक कहानी
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई तीन दिनों के लिए मुंबई के दौरे पर है ऐसे में कई कार्यक्रम में वह हिस्सा भी ले रहे हैं और लोगों के साथ अपने अनुभव को भी साझा कर रहे हैं.
CJI गवई नागपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में उस समय भावुक हुए जब उन्होंने अपने जीवन की कुछ निजी बातों को लोगों के सामने रखा.
उन्होंने अपने माता-पिता के द्वारा किए गए संघर्षों का भी जिक्र किया और बताया कि उनके पिता की आकांक्षाओं ने कैसे उनके जीवन की दिशा तय की.
जस्टिस गवई ने भावुक होकर कहा कि मेरे पिता चाहते थे कि मैं कानून की पढ़ाई करूं. लेकिन मैं एक आर्किटेकट बनना चाहता था.
CJI ने आगे कहा मेरे पिता ने खुद को अंबेडकर की सेवा में समर्पित कर दिया. वह खुद वकील बनना चाहते थे लेकिन वह अपनी इच्छा पूरी नहीं कर सके क्योंकि उन्हें आजादी के आंदोलन का हिस्सा होने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था.
उन्होंने अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए अपना सपना छोड़ दिया और कानून की पढ़ाई की. वे एक संयुक्त परिवार में पले-बढ़े, जहां जिम्मेदारी उनकी मां और चाची पर थी.
गवई जब हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनने वाले थे, तब उनके पिता ने कहा था कि अगर वे केवल वकील बने रहते तो शायद पैसे के पीछे भागते, लेकिन जज बनकर वे डॉ. आंबेडकर के बताए रास्ते पर चल सकते हैं और समाज की सेवा कर सकते हैं.
गवई ने कहा कि उनके पिता 2015 में चल बसे, पर उन्हें इस बात की खुशी है कि उनकी मां आज भी उनके साथ हैं. इस कार्यक्रम के दौरान माहौल भावुक हो गया.
कार्यक्रम में उन्होंने न्यायपालिका की भूमिका पर भी बात की. उन्होंने कहा कि न्यायिक सक्रियता बनी रहनी चाहिए, लेकिन यह न्यायिक दुस्साहस या आतंकवाद नहीं बननी चाहिए.