दुनिया के इस आईलैंड पर हर समय मंडराती है मौत, जाने से पहले जरूर पढ़ें 

हम जिस जगह के बारे में बात कर रहे हैं वो आज के उज्बेकिस्तान के पास के एरल सी के पास स्थित है, जिसे दुनिया Vozrozhdeniya के नाम से जाना जाता है.

इस जगह को लेकर ऐसा कहा जाता है कि साल 1948 में सोवियत संघ एक ऐसी जगह की खोज कर रहे थे जहां वो खतरनाक हथियारों की टेस्टिंग कर सकें.

इसलिए इस जगह को चुना गया जो इंसानों की पहुंच से काफी दूर थी. अपने समय में ये जगह दुनिया के सबसे बड़े जैविक हथियारों के वॉरफेयर के तौर पर फेमस हुई थी.

इस जगह के बारे में दुनिया को तब पता चला, जब सोवियत आर्मी के रिटायर्ड कर्नल और माइक्रोबायोलॉजिस्ट गेनाडी लेपायोशकिन ने द न्यूयॉर्क टाइम्स से इसका जिक्र किया.

अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वो यहां 18 सालों तक काम कर चुके थे. यहां हर 200-300 बंदरों को टेस्टिंग के लिए लाया जाता था. इस एक्सपेरिमेंट में ये सारे बंदर कुछ ही हफ्तों में मर जाते थे.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साल 1990 में इसे बंद करने से पहले, यहां कई तरह की बीमारियों और जैविक हथियारों का प्रशिक्षण किया गया था.

इनमें से कई तो ऐसे थे जो इंसानों के लिए काफी खतरनाक थे. इनमें प्लेग, एंथ्रैक्स, स्मॉलपॉक्स, ब्रूसेलॉसिस, तुलारेमिया, बॉट्यूलिनम, एंनसेफिलाइटिस आदि जैसी बीमारियों की टेस्टिंग होती थी.

यूं तो इन सारे जैविक हथियारों को नष्ट कर दिया गया लेकिन एंथ्रैक्स कई सौ सालों तक मिट्ठी में रहता है.

इस जगह को लेकर वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यहां की जमीन में एंथ्रैक्स भारी मात्रा में मौजूद है. ऐसे में अगर कोई इंसान यहां पहुंचता है तो उसकी मौत तय है.

फिलहाल इस जगह पर एरल सागर सूख चुका है और यहां का तापमान 60 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है. ऐसे में यहां इंसानों का जाना खतरे से खाली नहीं है.