दिल्ली के एक बुजुर्ग माता-पिता को अपने मरे हुए बेटे का वीर्य (Sperm) पाने के लिए 4 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी है.

दोनों ने ये लड़ाई दिल्ली के प्रतिष्ठित सर गंगा राम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital) के खिलाफ लड़ी.

अब अदालत ने बुजुर्ग माता-पिता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अस्पताल को उनके मर चुके बेटे का स्पर्म सौंपने का निर्देश दिया है. 

30 साल के प्रीत इंदर सिंह को 22 जून 2020 को नॉन हॉजकिन्स लिम्फोमा होने का पता चला था, जो कि एक तरह का ब्लड कैंसर है, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था.

याचिकाकर्ता के बेटे की कीमोथेरेपी (Chemotherapy) शुरू होने से पहले 2020 में उसके वीर्य के नमूने को फ्रीज करवा दिया गया था, क्योंकि डॉक्टरों ने बताया था कि कैंसर के इलाज के चलते बच्चा पैदा करने की क्षमता प्रभावित हो सकती हैं. 

डॉक्टर के सुझाव के बाद बुजुर्ग माता-पिता ने अपने बेटे का स्पर्म को फ्रीज कराने का फैसला किया था. ताकि भविष्य में सरोगेसी के माध्यम से बच्चा पैदा किया जा सके. 

इसके बाद 1 सितंबर 2020 को प्रीत इंदर सिंह का निधन हो गया था. तो उसके बुजुर्ग माता-पिता ने उस हॉस्पिटल से संपर्क किया, जहां उनके बेटे के स्पर्म को फ्रीज किया गया था. 

उसी साल 21 दिसंबर को उनके माता-पिता गुरविंदर सिंह और हरबीर कौर ने सर गंगाराम अस्पताल से संरक्षित स्पर्म का नमूना जारी करने का अनुरोध किया था.

हालांकि अस्पताल ने स्पर्म सैंपल रिलीज करने से इनकार कर दिया, जिससे परिवार बहुत दुखी हुआ और उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 

करीब 4 साल से ज्यादा कोर्ट में केस चला और आखिरकार दिल्ली हाईकोर्ट ने अब उस हॉस्पिटल को आदेश दिया है कि वह बुजुर्ग दंपति को सरोगेसी के लिए मृत बेटे का स्पर्म सौंप दे.