PM 2.5 (Particulate matter 2.5) वायु प्रदूषण में मौजूद बहुत ही छोटे-छोटे कण होते हैं. इनका साइज 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है.
वाहनों के धुएं, कोयला जलाने से ये कण वातावरण में जाते हैं. जब कोई व्यक्ति सांस लेता है तो ये छोटे कण सांस के जरिए लंग्स में जाते हैं और अस्थमा, सीओपीडी जैसी बीमारी का कारण बन सकते हैं.
ये कण खून में भी चले जाते हैं और ब्लड सप्लाई पर असर करते हैं. इससे हार्ट अटैक आने का भी रिस्क होता है. ये ब्रेन को भी नुकसान करता है.
गर्भवती महिलाओं के लिए ये काफी खतरनाक होता है और गर्भावस्था में समय से पहले प्रसव और शिशु की मृत्यु का कारण बन सकता है.
स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, किसी भी इलाके में पीएम 2.5 का लेवल 100 से कम होना चाहिए. लेकिन दिल्ली और आसपास के इलाकों में ये 300 से अधिक है.
डॉक्टर्स का कहना है कि PM 2.5 का 100 से ज्यादा होना कई खतरनाक बीमारियों का कारण बन सकता है. इससे लंग्स कैंसर तक के होने का रिस्क होता है.
पीएम 2.5 से बचाव के लिए रोजाना बाहर निकलने से पहले मास्क पहनें, घर में एयर प्यूरीफायर का यूज करें, स्वस्थ आहार लें, घर के बाहर एक्सरसाइज न करें.