स्थानीय लोग बताते हैं कि जब अगले साल इस मंदिर के कपाट खुलते हैं, तब मंदिर के पुजारियों को वह दीया जलता मिलता है, साथ ही फूल और प्रसाद भी ताजा रहते हैं.
प्राचीन कथाओं के अनुसार इस मंदिर की कहानी राक्षस अंधकासुर से जुड़ी हुई है. कहते हैं पहले यहां उसी का राज था और उसे ब्रह्मा जी से अदृश्य होने का वरदान प्राप्त था.
इस वरदान को पाकर उसने अपनी शक्तियों से ऋषि, मुनियों और मनुष्यों को काफी परेशान करता था, जिसके बाद भगवान शिव ने उसका वध करने का फैसला किया.