हमारे आस पास जो मशीने हैं क्या ये भी सोचती हैं? जानें इस सवाल का जवाब
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि सोचने का मतलब क्या होता है.
दरअसल सोचने में तर्क, निर्णय लेना, समस्या समाधान करना, रचनात्मकता और भावनाएं शामिल होती हैं. मानव मस्तिष्क इन सभी कार्यों को अत्यंत जटिल तरीके से करता है.
आज की मशीनें कई कार्यों को बहुत तेजी से और सटीकता के साथ कर सकती हैं, जो इंसानों के लिए मुश्किल या असंभव हैं.
उदाहरण के लिए, AI अब चेहरे की पहचान, भाषा अनुवाद और स्वचालित ड्राइविंग जैसे कार्यों को कर सकता है.
मशीनें डेटा के विशाल संग्रह का विश्लेषण करके सीख सकती हैं और भविष्यवाणी कर सकती हैं.
साथ ही मशीनें मानव मस्तिष्क के न्यूरॉन्स की तरह काम करने वाले आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क का उपयोग करके सीख सकती हैं.
इसके अलावा मशीनें अब इंसानों की भाषा को समझने और उसका जवाब देने में सक्षम हैं.
यह अभी भी बड़ा सवाल है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मशीनें केवल सिमुलेट कर रही हैं और वास्तव में सोच नहीं रही हैं.
विशेषज्ञ तर्क देते हैं कि मशीनों में भावनाएं, चेतना और आत्म-जागरूकता जैसी मानवीय विशेषताएं नहीं होती हैं.
दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मशीनें भविष्य में सोचने में सक्षम हो सकती हैं.
वे तर्क देते हैं कि जैसे-जैसे AI तेजी से विकसित हो रहा है, मशीनें अधिक से अधिक जटिल कार्य करने में सक्षम हो जाएंगी और आखिरकार इंसानों के स्तर का दिमाग प्राप्त कर लेंगी.