क्या सच में गवाह कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर खाते हैं कसम? यहां पर जान लीजिए

फिल्मों में आप अक्सर देखते हैं कि गवाह कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर कसम खाता है, लेकिन क्या यह सच में होता है? चलिए जानते हैं.

वकीलों और न्यायाधीशों के अनुसार, कोर्ट रूम में ऐसा कोई दृश्य नहीं होता.

हां, कुछ न्यायाधीश गवाहों से यह कहते हैं कि 'जो कहेंगे, सच कहेंगे और सच के सिवा कुछ नहीं कहेंगे,' लेकिन गीता पर हाथ रखकर कसम नहीं दिलाई जाती.

वास्तव में जब गवाह कोर्ट में आता है, तो उसके बयान सीधे शुरू हो जाते हैं.

एक एक्सपर्ट ने बताया कि पुराने समय में कुछ न्यायाधीश गीता या अन्य धार्मिक किताबों पर हाथ रखकर कसम दिलाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होता.

आजकल गवाही की प्रक्रिया में गवाह का नाम पुकारा जाता है, फिर वह अंदर आता है और जज के सवालों के जवाब देता है.

इसके बाद जब गवाही खत्म होती है, तो गवाह कोर्ट रूम से बाहर जाता है.

इस तरह फिल्मी कोर्ट रूम के नजारा वास्तविकता से अलग होता है, जहां गवाह को सिर्फ सच बोलने की शपथ दिलाई जाती है.

लेकिन गीता या कोई अन्य किताब पर हाथ रखकर कसम खानी की परंपरा अब नहीं है.