क्या आप भी बच्चों को पिलाते हैं ब्रांडी? जान लीजिए ये कितना सही
आमतौर पर भारतीय घरों में अगर बच्चों को सर्दी-खांसी हो जाएं तो छोटे बच्चों को अस्पताल या डॉक्टर के पास कम ही ले जाया जाता है.
इस दौरान बच्चों को सर्दी-खांसी होने पर घरेलू नुस्खे या बड़े-बुजुर्गों के उपायों को बड़ी आसानी से अपना लिया जाता है.
लेकिन अगर आप बच्चों को सर्दी-खांसी होने पर दवा के रूप में कुछ बूंदें या एक चम्मच ब्रांडी देते हैं तो सावधान हो जाएं.
ब्रांडी भी रम, व्हिस्की की तरह एक तरीके से शराब ही है जिसनें 30 से 60 प्रतिशत अल्कोहल होता है. फिर भी ब्रांडी में मेडिसिनल गुण बहुत ज्यादा है.
भारत ही नहीं दुनियाभर में ब्रांडी की खपत बहुत ज्यागा है. बता दें कि दुनियाभर में व्हिस्की के बाद इसका उत्पादन ही सबसे ज्यादा होता है.
ब्रांडी की ज्यादा उत्पादन इस कारण नहीं होता कि लोग शराब की तरह पैग लगाएं बल्कि यह घायलों-बीमारों के इलाज में प्रयोग किया जाता है.
इतना ही नहीं ब्रांडी ठंड भगाने में ही काम नहीं आती बल्कि यह खांसी, जुकाम, गले की खराश जैसी सांस की बीमारियों में भी बेहद उपयोग मानी जाती है.
ब्रांडी यदी कम मात्रा में पीने पर दवाई जैसा काम करती है तो इसे लगातार ज्यादा पीने पर इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं.
ब्रांडी ज्यादा पीने पर आपका शुगर बढ़ सकता है. सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है. साथ ही लीवर को भी नुकसान हो सकता है.