अमेरिका की सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है. इस देश की सेना के पास एक से बढ़कर एक हथियार, लड़ाकू जहाज, पनडुब्बियां, विमानवाहक पोत मौजूद हैं.

अमेरिका अपनी सेना पर हर साल लाखों मिलियन डॉलर खर्च करता है और इस मामले में वह हमेशा पहले स्थान पर रहा है. वहीं सैलरी कितनी मिलती है आइए जानते हैं. 

एक प्राइवेट (E1) रैंक के सैनिक को शुरुआती तौर पर लगभग 21,000 डॉलर (लगभग 17 लाख रुपये) सालाना मिलते हैं, जबकि सार्जेंट (E5) रैंक के सैनिक की सैलरी लगभग 30,000 डॉलर (लगभग 25 लाख रुपये) होती है.

औसतन, एक सैनिक की सालाना सैलरी लगभग 41,000 डॉलर (करीब 34 लाख रुपये) होती है. जैसे-जैसे सैनिक की रैंक बढ़ती है, उनकी सैलरी भी बढ़ती जाती है.

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारतीय नागरिक भी अमेरिकी सेना में शामिल हो सकते हैं और इसके लिए एक निर्धारित प्रक्रिया और नियम होते हैं. यहां जान लीजिए.

सेना भर्ती के नियम सबसे पहले अमेरिकी सेना में भर्ती होने के लिए सबसे पहले शारीरिक रूप से फिट होना अनिवार्य है. इसके अलावा, अच्छी शिक्षा का होना भी जरूरी है.

यदि किसी व्यक्ति के पास 'US Permanent Resident Card' (ग्रीन कार्ड) है, तो वह अमेरिकी सेना का हिस्सा बन सकता है, भले ही वह अमेरिकी नागरिक न हो.

इसका मतलब है कि केवल ग्रीन कार्ड धारक भारतीय ही अमेरिकी सेना में भर्ती हो सकते हैं. इसके अतिरिक्त, उम्मीदवार को अंग्रेजी बोलने, पढ़ने और लिखने में दक्षता भी चाहिए.

आयु सीमा वहीं अमेरिकी सेना में आयु सीमा 17-42 वर्ष, आर्मी के लिए 17-35 वर्ष, कोस्ट गार्ड के लिए 17-41 वर्ष, मरीन कॉर्प्स के लिए 17-28 वर्ष, नौसेना के लिए 17-41 वर्ष स्पेस फोर्स के लिए 17-42 वर्ष है.

वहीं अगर कोई व्यक्ति ऑफिसर या रिजर्व के तौर पर भर्ती होता है, तो उसकी आयु सीमा अलग हो सकती है.

फिसिकल टेस्ट सेना में भर्ती होने के इच्छुक व्यक्ति को 'Armed Services Vocational Aptitude Battery' (ASVAB) टेस्ट पास करना होता है, जो यह निर्धारित करता है कि उम्मीदवार को सेना में कौन सी नौकरी दी जाएगी.

सेना में भर्ती होने के लिए उम्मीदवार को हाई स्कूल डिप्लोमा या सामान्य डिप्लोमा (GED) की आवश्यकता होती है. यदि कोई व्यक्ति ऑफिसर रैंक पर भर्ती होना चाहता है, तो उसे चार साल की कॉलेज डिग्री होनी चाहिए.

सेना में भर्ती होने से पहले सभी उम्मीदवारों का शारीरिक और चिकित्सा परीक्षण भी किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि उम्मीदवार शारीरिक रूप से स्वस्थ है या नहीं.