आप जानते हैं सनातन धर्म के 16 संस्कारों के बारे में? जानें क्या हैं इनके मायने

सनातन धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं, जो जीवन के अलग-अलग चरणों को कवर करते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में...

पहला संस्कार गर्भाधान संस्कार है, जिसमें शिशु का गर्भ में धारण होना होता है. फिर पुंसवन संस्कार होता है, जो गर्भधारण के तीसरे महीने में किया जाता है.

इसके बाद सीमन्तोन्नयन संस्कार आता है, जो गर्भ के छठे महीने में किया जाता है. शिशु के जन्म के बाद जातकर्म संस्कार होता है, जिसमें शिशु को घी या शहद दिया जाता है.

इसके बाद नामकरण संस्कार होता है, जिसमें शिशु का नाम उसकी कुंडली के आधार पर रखा जाता है. निष्क्रमण संस्कार में शिशु को सूर्य चंद्रमा के प्रभाव में लाया जाता है.

जब शिशु छह महीने का होता है तो उसे अन्नप्राशन संस्कार किया जाता है. फिर मुंडन संस्कार होता है, जिसमें शिशु का मुंडन किया जाता है.

विद्यारंभ संस्कार में शिशु को पहली बार विद्या का ज्ञान दिया जाता है. कर्णवेध संस्कार में शिशु के कान छेदे जाते हैं.

यज्ञोपवीत संस्कार में जनेऊ धारण किया जाता है और वेदारम्भ संस्कार में बालक को वेदों की शिक्षा दी जाती है.

केशान्त संस्कार में बालक अपने बालों को त्यागता है और समावर्तन संस्कार में वह गुरुकुल से विदाई लेकर सामाजिक जीवन में प्रवेश करता है.

विवाह संस्कार में व्यक्ति वैवाहिक जीवन में प्रवेश करता है और अन्त्येष्टि संस्कार से व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जाता है.