आपको मालूम है Delhi का नाम 'दिल्ली' कैसे पड़ा? जानें इसके पीछे की कहानी

भारत की राजधानी दिल्ली एक ऐसा शहर है जो अपने समृद्ध इतिहास और विविध संस्कृति के लिए जाना जाता है. 

यहां की खूबसूरती और ऐतिहासिक जगहों को देखने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. राजधानी दिल्ली एक राजनीतिक केंद्र भी है. 

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में महाभारत काल से लेकर ब्रिटिश काल तक कई घटनाएं घटी. दिल्ली का इतिहास आज से लगभग 5 हजार साल पहले पांडवों के समय से शुरू हुआ था. 

जब दिल्ली को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था. अंग्रेजों ने कलकत्ता के बाद सन 1911 में दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली का नाम दिल्ली क्यों रखा गया.

दरअसल, इतिहासकारों का मानना है कि लगभग 50 ईसा पूर्व में मौर्य राजा ढिल्लू ने इस शहर की स्थापना की थी. जिसकी वजह से उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम दिल्ली रखा गया. 

ढिल्लू राजा को धिल्लू और दिलू के नाम से भी जाना जाता था. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि तोमरवंश के राजा ने इस जगह का नाम ढिली रखा जो दिल्ली का पुराना नाम था. 

इतिहास के अनुसार लगभग 36 ईस्वी में दिल्ली पर तोमर राजवंश का शासन हुआ करता था. इसके बाद दिल्ली में चौहान राजवंश का शासन काल शुरू हुआ. 

बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में गुलाम राजवंश की स्थापना की. इसके बाद दिल्ली पर तुगलक वंश ने शासन किया. 

सन 1450 से 1526 तक लोदी वंश ने शासन संभाला. लोदी वंश के बाद साल 1526 में दिल्ली में मुगल वंश की स्थापना की. 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया. 

आजादी से पहले जब देश पर ब्रिटिश शासन था. लगभग 1903 से लेकर आजादी तक दिल्ली पर ब्रिटिश राज था. आजादी के बाद दिल्ली को स्वतंत्र भारत को राजधानी घोषित किया गया.