क्या आपको मालूम है किसी राज्य का नाम कैसे बदला जाता है? जानें इसका प्रोसेस
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत संसद को किसी भी राज्य का नाम बदलने का अधिकार है.
अगर राज्य का नाम बदलना हो, तो राज्य सरकार को विधानसभा में प्रस्ताव पारित करना होता है.
इसके बाद यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाता है, जो तय करती है कि राज्य का नाम बदला जाएगा या नहीं.
अगर केंद्र सरकार मंजूरी देती है, तो गृह मंत्रालय, इंटेलिजेंस ब्यूरो, भारतीय सर्वेक्षण, डाक विभाग और रजिस्ट्रार जनरल जैसी एजेंसियों से एनओसी लेना जरुरी होता है.
केंद्र की मंजूरी के बाद, राज्य का नाम बदलने के लिए संसद में एक बिल पेश करना होता है. बिल दोनों सदनों में पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है.
राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद, राज्य का नाम बदलने का नोटिफिकेशन जारी किया जाता है.
ये प्रक्रिया समय लेने वाली होती है और कई महीनों या सालों तक चल सकती है.
वहीं राज्य या जिले का नाम बदलने के लिए एक ठोस कारण देना जरूरी होता है.
बता दें, 1953 में इस प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया था, जब गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया था कि नाम बदलने का प्रस्ताव केवल राज्य विधानसभा में उठाया जा सकता है.