आपको पता है रेलवे कैसे तय करता है ट्रेन में कौन सा डिब्बा कहां लगेगा? जानें
रेलवे ट्रेन के डिब्बों का कोचिंग प्लान यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तैयार करता है.
इस प्रक्रिया में सबसे जरूरी पहलू यात्रियों की सुरक्षा और आपातकालीन स्थिति में उनके बाहर निकलने की सुविधा है.
ट्रेन के कोचिंग प्लान के अनुसार, सबसे पहले इंजन आता है, उसके बाद अन्य डिब्बे लगाए जाते हैं.
रेलवे यह सुनिश्चित करता है कि जनरल डिब्बे ट्रेन के दोनों छोरों पर होते हैं, ताकि भीड़ समान रूप से बंट सके और स्टेशन पर भारी भीड़ न जमा हो.
इस तरह से इमरजेंसी सिचुएशन में राहत और बचाव कार्य आसानी से किए जा सकते हैं.
कोचिंग प्लान इस बात का भी ध्यान रखता है कि इमरजेंसी स्थिति में लोगों की भीड़ बीच में न हो, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन सही तरीके से चल सके.
ट्रेन के इंजन के बाद जनरल डिब्बा आता है, फिर लगेज डिब्बा, इसके बाद एसी कोच होते हैं, जिसमें फर्स्ट एसी, सेकेंड एसी और थर्ड एसी डिब्बे होते हैं.
इन डिब्बों के बाद स्लीपर क्लास के डिब्बे होते हैं. ट्रेन के आखिरी में गार्ड का केबिन होता है.
इस तरह से कोचिंग प्लान तैयार किया जाता है ताकि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित की जा सके और इमरजेंसी स्थितियों में राहत कार्य आसान हो सके.