क्या आपको पता है घर के पास लगा ये मोबाइल टावर कैसे करता है मदद? यहां जानें
जब आप किसी से फोन पर बात करें तो आपकी आवाज को फोन सिग्नल में कन्वर्ट करके भेजता है
और यह दूसरे व्यक्ति के फोन तक सिग्नल के माध्यम से पहुंचता है और उसके बाद उन सिग्नल को आवाज में कन्वर्ट कर दिया जाता है.
इससे पता चलता है कि आखिर अगले आदमी ने क्या बोला है. लेकिन सवाल है कि आखिर कैसे ये सिग्नल एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं.
दरअसल, ये सिग्नल विद्युत चुंबकीय तरंगों के माध्यम से हवा में ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर होती है. ये खास तरीके की तरंगे होती हैं, जिन्हें रेडियो फ्रीकवेंसी कहा जाता है.
लेकिन आप सोच रहे होंगे कि यह कुछ ही सेकेंड में एक हजारों किलोमीटर का फासला कैसे पूरा कर लेती हैं. इनके बीच में इमारतें, पहाड़ आदि आते होंगे.
अब ये जो काम है ये मोबाइल टावर ही करते हैं. मोबाइल टावर आपके फोन के सिग्नल को आगे पहुंचाने में मदद करते हैं.
यानी अगर आप किसी से बात करते हैं तो मोबाइल टावर के जरिए ही अगले व्यक्ति तक बात पहुंचती है.
ये टॉवर आपस में फाइबर के जरिए जुड़े रहते हैं और मोबाइल टावर फाइबर के जरिए दूसरे टावर तक कनेक्ट होकर काम करते हैं.
इसके बाद अगले व्यक्ति पास वाले टावर से सिग्नल उन्हें मिल जाते हैं. यह पोस्टऑफिस की तरह काम करता है.
आप पहले पोस्ट ऑफिस में चिट्ठी देकर आते हैं और ये चिट्ठी अगले व्यक्ति के नजदीकी स्टेशन तक पहुंचती है. इसके बाद वहां से डाकिया उसके घर तक चिट्ठी दे देता है.
ऐसे ही पहले तरंगों के जरिए मोबाइल नेटवर्क तक आपकी बात पहुंचती है और मोबाइल नेटवर्क इसे फाइबर में जाने के लिए तैयार करता है
और फाइबर के जरिए अगले व्यक्ति के नजदीकी टावर तक इसे पहुंचाया जाता है.
टावर के तरंगों को कन्वर्ट करने और हासिल करने का काम उसके ऊपल लगए एंटीना से होते हैं, जो हर टावर में लगे होते हैं.