आपको मालूम है भारत समेत किन देशों में मौजूद हैं सम्राट अशोक के शिलालेख? जानें
देहरादून जिले में स्थित कालसी के इतिहास के पन्नों को पलटा जाए, तो यह सफर महाभारत काल से शुरू होता हुआ मौर्यवंशी सभ्यता के प्रमाण तक जा पहुंचेगा.
जी हां, यमुना नदी और अमलावा के संगम तट पर सम्राट अशोक के 14 शिलालेखों में से एक यहां मौजूद है. ब्रिटिश काल में खोजा गया शिलालेख आज लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.
विशालकाय शिलालेख में सम्राट अशोक के समय के बौद्ध धर्म के सत्य, अहिंसा के उद्देश्यों को अंकित किया गया है.
सन् 1860 में ब्रिटिश व्यक्ति मिस्टर फॉरेस्ट ने अशोक शिलालेख की खोज की थी. यह शिलालेख एक धर्म लिपि है.
भारतीय उपमहाद्वीप में शाहबाजगढ़ी (अब पाकिस्तान में) से लेकर बिहार में लौरिया नंदनगढ़ तक और गुजरात में गिरनार से लेकर उड़ीसा में धौली और दक्षिण में आंध्र प्रदेश में येर्रोगुडी तक पाए जाते हैं.
कालसी शिलालेख क्वार्टजाइट(Quartzite) चट्टान पर अंकित है. भारतीय पुरालेखों में से एक ‘अशोकन रॉक एडिक्ट’ कालसी का महत्वपूर्ण स्मारक है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मंडल द्वारा लगाए गए बोर्ड के मुताबिक इस शिलालेख में 14 बिंदु प्रमुख हैं, जिसमें अशोक के साम्राज्य में किसी भी जीव का वध या बलि देना प्रतिबंधित था.
साथ ही, लिखा गया कि देवताओं के प्रिय प्रियदर्शी राजा अशोक ने अपने राज्य एवं अपने जीते हुए सीमावर्ती राज्यों में मुनष्यों एवं पशुओं की चिकित्सा का प्रबंध किया और मार्गों में पशुओं और मनुष्यों के आराम के लिए वृक्ष लगाये और कुएं खुदवाएं.
अशोक शिलालेख में लिखे प्रमाणों के मुताबिक, अशोक के राज्य में सभी जगह सभी संप्रदायों के लोग शांति से एक साथ निवास कर सकते थे.
कालसी अभिलेख एक बड़ी चट्टान पर खुदा है. 10 फीट लंबी, 8 फीट चौड़ी और 10 फीट ऊंची शिलालेख में हाथी की आकृति बनी हुई है, जिसके नीचे गजेतम शब्द लिखा है.
शिलालेख में सम्राट अशोक के पशुओं को अनावश्यक मारने पर प्रतिबंध, जानवरों और इंसानों के लिए स्वास्थ्य सुविधा, युद्ध घोष के स्थान पर धम्म घोष द्वारा विजय का उल्लेख किया गया है.
मौर्य काल में देहरादून जिले का कालसी एक प्रमुख केंद्र रहा है. 7वीं सदी में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस क्षेत्र को सुधनगर के रूप में बताया था.
मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि में लिखा कालसी का शिलालेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन है. कालसी के शिलालेख को हिंदी में भी अनुदित किया गया है, ताकि लोगों को मौर्य सम्राट के संदेशों का सार समझ में आ सकें.
अशोक (ईसा पूर्व 304 से ईसा पूर्व 232) मौर्य राजवंश के महान सम्राट रहे हैं. उनका नाम देवानांप्रिय (देवताओं का प्रिय) अशोक मौर्य था.