आपको मालूम है बाबासाहेब आंबेडकर की पहली जीवनी किस भाषा में लिखी गई थी? जानें
संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है.
केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारें भी जगह-जगह तमाम कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं.
बाबासाहेब का जीवन संघर्षों और उपलब्धियों की मिसाल है. उन्होंने भारतीय समाज की दिशा ही बदल दी. बाबासाहेब के बारे में देश दुनिया में कई किताबें और रिपोर्ट्स लिखी गईं.
लेकिन कम लोगों को पता होगा कि बाबासाहेब की पहली जीवनी किस भाषा में लिखी गई थी.
यह ऐतिहासिक दस्तावेज गुजराती भाषा में 28 अगस्त 1940 को प्रकाशित हुआ था. यह जीवनी आंबेडकरवादी आंदोलन का शुरुआती वैचारिक दस्तावेज भी माना जाता है.
दरअसल वैसे तो बाबासाहेब आंबेडकर को खुद किताबों से बहुत लगाव था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनके पास सात से आठ हजार किताबों का संग्रह था जिसकी कीमत उस दौर में 30-40 हजार रुपये आंकी गई थी.
उनके इसी बौद्धिक जीवन को समझने और जनता तक पहुंचाने की कोशिश 1940 में एक गुजराती किताब के जरिए की गई. यह जीवनी उनके जीवन पर लिखी गई पहली किताब थी जब वे जीवित थे.
रिपोर्ट के मुताबिक बाबसाहेब की जीवनी लिखने का प्लान सबसे पहले करशनदास लेउवा ने बनाया था जो गुजरात में आंबेडकर के अनुसूचित जाति संघ से जुड़े बड़े नेता थे.
वे एक ऐसे लेखक की तलाश में थे जो आंबेडकर के विचारों को समझने में सक्षम भी हो. फिर उन्हें यूएम सोलंकी मिले जो आंबेडकर के विचारों से गहराई से जुड़े हुए थे.
यूएम सोलंकी पेशेवर लेखक नहीं थे लेकिन आंबेडकर के भाषणों और लेखन से परिचित थे. यूएम सोलंकी को अंग्रेजी और गुजराती दोनों भाषाओं में महारत थी और पूरी जीवनी को गुजराती भाषा में अपने हाथ से लिखा.
करशनदास लेउवा ने भूमिका में लिखा कि गुजरात में लोग आंबेडकर के बारे में कम जानते थे इसलिए इस किताब के माध्यम से उन्हें जानने का अवसर मिलेगा.