क्या आपको मालूम है भारत को 15 अगस्त नहीं, इस दिन मिलने वाली थी आजादी?
आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त नहीं बल्कि 26 जनवरी को सेलिब्रेट किया जाता था.
ये सिलसिला एक दो नहीं बल्कि 18 सालों तक चला. इसके पीछे भी एक ऐसी कहानी है जो बताती है कि भारत को आजादी पहले ही मिल जानी थी.
दरअसल साल 1929 में लाहौर में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू सहित अन्य नेताओं ने मिलकर कांग्रेस अधिवेशन के दौरान एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था.
अधिवेशन की अध्यक्षता कर रहे पंडित नेहरू ने सबके सामने एक प्रस्ताव रखा, जिसमें कहा गया कि
यदि अंग्रेजी शासकों ने 26 जनवरी, 1930 तक भारत को उसका हक नहीं दिया, तो भारत खुद को स्वतंत्र घोषित कर लेगा.
यहीं से कांग्रेस ने 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस यानी स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित कर दिया था.
लेकिन अंग्रेज टस से मस नहीं हुए, ऐसे में पूरी तरह स्वतंत्रता के लिए भारत में आंदोलन और भी तेज हो गए.
इस अधिवेशन में तय हुआ कि 26 जनवरी को पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा. महात्मा गांधी ने इस बात को पूरे देश में फैलाने के निर्देश दिए.
फिर क्या था 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर पहली बार स्वतंत्रता दिवस शांति और सद्भावना के साथ मनाया गया. भारतवासियों की इस एक जुटता ने अंग्रेजों की चिंता बढ़ा दी.
हालांकि, इस भीड़ ने बापू की बात को कायम रखा और बिना हिंसा और शोर-शराबे के आजादी के लिए अपना उत्साह प्रदर्शित किया. इस दिन पंडित नेहरू ने भी तिरंग फहराया.
दरअसल, जब भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ तो उस वक्त लार्ड माउंटबेटन वायसराय और गवर्नर-जनरल थे.
माउंटबेटन लक में विश्वास रखते थे. उनका मानना था कि 15 अगस्त की तारीख उनके लिए बहुत लक्की है.
ऐसा इसलिए क्योंकि इसी तारीख को यानी 15 अगस्त 1945 को जापानी सेना ने आत्मसमर्पण किया था. माउंटबेटन उस वक्त अलाइड फोर्सेज के कमांडर थे.
उन्हें इस जीत के हीरो में गिना जाता है. यही वजह है कि जब भारत को आजादी देने की बात की गई तो माउंटबैटन ने 15 अगस्त की तारीख को चुना और इस दिन आधी रात में देश को आजादी मिली.