जानते हैं ब्रज की होली का महत्व और इसकी अनोखी परंपराएं?

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि यह प्रेम, भक्ति और उत्साह का प्रतीक भी है.जब बात ब्रज की होली की होती है, तो इसकी भव्यता और आध्यात्मिकता अद्भुत होती है.

यह होली भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम की कहानी को जीवंत कर देती है.

ब्रज में होली का पौराणिक महत्व है की भगवान श्रीकृष्ण बचपन से ही अपनी शरारतों और लीलाओं के लिए प्रसिद्ध थे. 

मान्यता है कि जब कृष्ण बाल्यावस्था में थे, तब उन्होंने अपनी माता यशोदा से पूछा कि राधा और बाकी गोपियां उनसे गोरी क्यों हैं.

माता यशोदा ने हंसकर कहा कि वह चाहें तो राधा को अपनी पसंद के रंग में रंग सकते हैं.बस यहीं से होली में रंग लगाने की परंपरा शुरू हुई.

कृष्ण ने अपने सखाओं के साथ मिलकर रंगों की होली खेली, और तभी से वृंदावन, नंदगांव, बरसाना और गोकुल में होली विशेष रूप से मनाई जानें लगी.

नंदगांव कृष्ण का गांव है, और बरसाना राधा का, नंदगांव और बरसाना की होली में गोप और गोपियों के बीच रंगों का अद्भुत खेल देखने को मिलता है. 

बरसाना के पास गुलाल कुंड नामक स्थान पर हर साल होली से पहले श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन किया जाता है, जहां भक्तगण गुलाल उड़ाकर होली का आनंद लेते हैं.