बाबा साहेब अंबेडकर का परिवार महार जाति (दलित) से संबंध रखता था जिसे अछूत माना जाता था. उनके पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे.

बाब साहेब दुनिया के पहले और एकमात्र सत्याग्रही थे जिन्होंने पीने के पानी के लिए सत्याग्रह किया था. 

अंबेडकर का असल नाम अंबावाडेकर था. यही नाम उनके पिता ने स्कूल में दर्ज भी कराया था. लेकिन उनके एक अध्यापक ने उनका नाम बदलकर अपना सरनेम अंबेडकर उन्हें दे दिया.

बाल विवाह प्रचलित होने के कारण 1906 में अंबेडकर की शादी 9 साल की लड़की रमाबाई से हुई. उस समय अंबेडकर की उम्र महज 15 साल थी. 

1913 में एमए करने के लिए वे अमेरिका चले गए. तब उनकी उम्र मजह 22 साल थी. अमेरिका में पढ़ाई करना बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सहयाजी राव तृतीय से मासिक स्कॉलरशिप मिलने के कारण संभव हो सका. 

डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर अपने माता-पिता की 14वीं और आखिरी सन्तान थे. 

बाबा साहेब अंबेडकर पहले भारतीय थे जिन्होंने विदेश से इकोनॉमिक्स में पीएचडी डिग्री हासिल की थी. 

अंबेडकर दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए बहिष्कृत भारत, मूक नायक, जनता नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकालने शुरू किये. 1927 में उन्होंने छुआछूत जातिवाद के खिलाफ अपना आंदोलन तेज किया. 

बाबा साहेब पिछड़े वर्ग के पहले वकील थे. 

आजादी की लड़ाई के बीच अंबेडकर ने 1936 में लेबर पार्टी का गठन किया. उनकी काबिलियत देख उन्हें संविधान की मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया. भारत की आजादी के बाद उन्हें पहला कानून मंत्री बनाया गया.