क्या आप जानते हैं भारत में मनाए जाते हैं ये 10 विंटर फेस्टिवल, जान लें नाम

मैग्नेटिक फील्ड्स फेस्टिवल: यह राजस्थान के अलसीसार में 6 से 8 दिसंबर तक मनाया जाता है. इसका अनुभव करने का अपना ही आनंद है, जहां संगीत और कला का संगम देखने को मिलता है.

जैसलमेर डेजर्ट फेस्टिवल: राजस्थान का यह प्रसिद्ध फेस्टिवल, जिसे मारू महोत्सव भी कहा जाता है, रेगिस्तान की मिट्टी में संगीत, नृत्य और स्थानीय संस्कृति का अद्भुत मिश्रण पेश करता है. ये तीन दिनों तक चलता है.

नागालैंड हॉर्नबिल फेस्टिवल: नागालैंड का ये फेस्टिवल हर साल 1 से 10 दिसंबर तक मनाया जाता है. इसे फेस्टिवल ऑफ फेस्टिवल्स भी कहा जाता है, जहां विभिन्न जनजातीय संस्कृति का प्रदर्शन होता है.

NH7 वीकेंडर: यह भारत का सबसे बड़ा और लंबा म्यूजिक फेस्टिवल है, जो 14-15 दिसंबर को आयोजित होता है. इसमें देश-विदेश के प्रसिद्ध संगीतकार हिस्सा लेते हैं.

रण उत्सव: गुजरात के कच्छ में आयोजित यह उत्सव 1 दिसंबर से 28 फरवरी तक चलता है. यहां आप कच्छ के रण में सांस्कृतिक धरोहर, लोक कला और लोक संगीत का आनंद ले सकते हैं.

लोहरी: 13 जनवरी को मनाया जाने वाला यह पर्व पंजाब में विशेष रूप से मनाया जाता है. यह ठंड के मौसम के अंत और नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक होता है, जिसमें लोक नृत्य और संगीत होते हैं.

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल:हर साल 30 जनवरी से 3 फरवरी के बीच जयपुर में आयोजित यह फेस्टिवल विश्वभर के मशहूर लेखकों और विचारकों का एक मंच होता है, जहां साहित्य, कला और संस्कृति पर चर्चा होती है.

माघ बिहू: असम में मनाया जाने वाला यह प्रमुख विंटर फेस्टिवल 15 जनवरी से शुरू होता है. यह असम की समृद्ध संस्कृति, लोक संगीत, नृत्य और पकवानों का आनंद लेने का एक शानदार मौका होता है.

हिमाचल विंटर कॉर्निवाल: 24 दिसंबर से शुरू होकर यह फेस्टिवल हिमाचल प्रदेश में मनाया जाता है. यहां पर हिमाचल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाया जाता है और स्थानीय कलाकार अपनी प्रस्तुति देते हैं.

केरल क्रिसमस और न्यू ईयर फेस्टिवल: केरल में क्रिसमस और नए साल का जश्न शानदार तरीके से मनाया जाता है. इसके साथ ही केरल के स्थानीय मंदिरों और चर्चों में धार्मिक उत्सव भी होते हैं.