आपको मालूम है क्या होती है आर्टिफिशियल बारिश? यहां जान लीजिए
आर्टिफिशियल बारिश, जिसे क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है, एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसके जरिए बादलों में कृत्रिम (Artificial) रूप से बारिश को उत्पन्न किया जाता है.
यह तकनीक प्राकृतिक रूप से होने वाली बारिश जैसी ही है, लेकिन इसमें कृत्रिम तत्वों को बादलों में डाला जाता है ताकि बारिश हो सके.
इस प्रक्रिया में बादलों के ऊपर कृत्रिम तत्व जैसे कि नैट्रियम क्लोराइड, सिल्वर आयोडाइड या पोटैशियम आयोडाइड डालकर बादलों में नमी की मात्रा बढ़ाई जाती है.
इन तत्वों का मुख्य उद्देश्य पानी की बूंदों को एक साथ जोड़ना होता है, जिससे वो भारी हो जाएं और धरती पर गिर सकें.
आर्टिफिशियल बारिश की प्रक्रिया को क्लाउड सीडिंग कहते हैं. इसे वैज्ञानिक तरीके से समझें तो यह प्रक्रिया तीन मुख्य चरणों में होती है.
बादल तैयार करना: सबसे पहले यह देखा जाता है कि बादल बारिश करने के लिए तैयार हैं या नहीं. इसके लिए मौसम विभाग द्वारा उपग्रहों और मौसम केंद्रों से डेटा लिया जाता है.
बादल का तापमान, humidity और हवा की गति आदि की जांच की जाती है ताकि यह तय किया जा सके कि आर्टिफिशियल बारिश की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है या नहीं.
बारिश होना: जब इन तत्वों के कारण पानी की बूंदें इकट्ठा हो जाती हैं और उनका आकार बढ़ जाता है, तो वे भारी हो जाती हैं और धरती पर गिरने लगती हैं. इस तरह से आर्टिफिशियल बारिश की प्रक्रिया पूरी होती है.