उत्तर प्रदेश के नोएडा से हाल ही में डिजिटल रेप से जुड़ा एक और मामला सामने आया है. इस मामले में पीड़िता स्कूल में पढ़ने वाली 4 साल की बच्ची है. 

आपको बता दें, यह मामला नोएडा के थाना 39 क्षेत्र का है. इस थाने के अंतर्गत आने वाले सेक्टर 37 के एक निजी स्कूल में 4 साल की बच्ची पढ़ती थी, जहां उसके साथ यह वारदात हुई है. 

बच्ची की मां का आरोप है कि बच्ची के साथ स्कूल के बाथरूम में डिजिटल रेप जैसी घिनौनी वारदात हुई है. 

इन दिनों वर्तमान में डिजिटल रेप के मामले इतने ज्यादा बढ़ रहे हैं. हर किसी के मन में सवाल है आखिरकार डिजिटल रेप कैसे संभव हो सकता है. तो आइए आपको बताते हैं. 

अगर आपको लग रहा है कि डिजिटल रेप का मतलब ऑनलाइन पॉर्न देखना या कोई ऑनलाइन अपराध करना होगा तो आप गलत हैं. 

दरअसल, डिजिटल रेप का मतलब होता है जब आरोपी पीड़िता का सेक्सुअल असॉल्ट अपने हाथ या फिर पैर की उंगलियों से करता है. यह कानून निर्भया केस के बाद आया था. 

साल 2013 में इस कानून को मान्यता मिली. इसके मुताबिक, हाथ की उंगली या अंगूठे से जबरदस्ती पेनेट्रेशन को यौन अपराध मानते हुए इसे सेक्शन 375 और पॉक्सो एक्ट की श्रेणी में रखा गया.

अब दोषियों की सजा की बात करें तो साल 2019 में जो मामला सामने आया था उसमें दोषी को गौतम बुद्ध नगर के जिला कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी. 

दरअसल, इस मामले में ज्यादातर पीड़िता बच्चियां होती हैं, इसलिए आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई होती है. 

पॉक्सो एक्ट में अपराध की गंभीरता को देखते हुए 20 साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. वहीं अगर पीड़िता की मृत्यु हो जाती है तो आरोपी को फांसी की भी सजा हो सकती है.