आपको मालूम है मणिपुरी की ये ट्रेडिशनल ड्रेस किससे बनती है, जानिए इतिहास

उर्वशी रौतेला ने ग्लोबल फैशन फेस्टिवल 2024 में मणिपुरी पारंपरिक ड्रेस को इंटरनेशनल स्टेज पर पहना. 

इस आउटफिट को मणिपुरी डिजाइनर रॉबर्ट नोरेम ने डिजाइन किया था जिस पर 24 कैरट सोने के धागे की कढाई की गई थी. 

इस पारंपरिक परिधान में मणिपुरी फैशन की झलक देखने को मिली, जो उनकी सांस्कृतिक विरासत को दिखाती है. उर्वशी ने जो पूरा ड्रेसअप पहना था, वह पारंपरिक रूप  से मैतेई मणिपुरी दुल्हन द्वारा पहना जाता है.

यह पहली बार है, जब किसी बॉलीवुड सेलिब्रिटी ने मणिपुरी दुल्हन की पोशाक पहनकर रैंप वॉक किया. 

लेकिन क्या आप जानते हैं मणिपुरी दुल्हन की पारंपरिक ड्रेस किससे बनाई जाती है. चलिए आपको बताते हैं इसके इतिहास के बारे में. 

मणिपुर की दुल्हनों की पोशाख भारत की पारंपरिक दुल्हनों की ड्रेस से अलग होती है. वहां पर दुल्हन की ड्रेस में बेलनाकार ड्रम के आकार की स्कर्ट होती है जिसे पोटलाई नाम से जानते हैं. 

इसे मोटे फाइबर और बांस से बनाया जाता है. इसके ऊपर साटन का कपड़ा लगाया जाता है और फिर उसे डेकोरेट किया जाता है. 

स्कर्ट को बनाने में करीब 10 से 12 दिन लग जाते हैं. इस ड्रम जैसी स्कर्ट को एक सुंदर बेल्ट के साथ पहना जाता है. इसके बाद सिर से लेकर नीचे तक ट्रांसपैरेंट दुपट्टा भी कैरी किया जाता है.

इसे हॉफ स्लीव्स वाले ब्लाउज के साथ कैरी किया जाता है. साथ में लेयर्ड नेकलेस और कोकगी लीटेंग नाम के बड़े हार के साथ पेयर करते हैं.  

मणिपुरी दुल्हनें गहरे हरे रंग का ब्लाउज पहनती हैं और ब्लाउज और स्कर्ट के चारों ओर मलमल का घूंघट लपेटती हैं, जैसा कि मणिपुरी एक्ट्रेस और रणदीप हुड्डा की पत्नी लिन लैशराम ने दुल्हन बनते समय पहना था.

पोटलोई का इतिहास कई पीढ़ियों से चला आ रहा है और यह मैतेई साम्राज्य के प्राचीन काल से चली आ रही है. कहा जाता है कि मैडिंगु भाग्यचंद्र महाराज का शासनकाल 1763-1798 तक था.  

उन्होंने शास्त्रीय रास-लीला नृत्य के लिए नृत्य पोशाक के रूप में पोटलोई की शुरुआत की थी.  

धीरे-धीरे, मणिपुर के मैतेई समुदाय में दुल्हनें इसे शादी की पोशाक के रूप में पहनने लगीं. पोटलोई बनाने की कला पीढ़ियों से चली आ रही जिससे लोग अपना घर भी चलाते हैं.