आपको मालूम है भारत में आखिरी बार कब किसी महिला को मिली थी मौत की सजा? जानें

भारत एक न्यायिकप्रधान देश है. भारत के संविधान में न्यायपालिका को स्वतंत्रता का दर्जा दिया गया है.

भारत में कानून व्यवस्थाओं के तहत कोर्ट ही किसी अपराधी को सजा सुना सकता है. कोर्ट के अलावा कोई भी अन्य प्रशासन किसी भी व्यक्ति को सजा नहीं दे सकता है. 

भारत समेत किसी भी देश में अपराधी को फांसी की सजा देना सबसे बड़ी सजा माना जाता है. फांसी की सजा यानी मौत की सजा है. 

लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में अब तक कितनी महिलाओं को मौत की सजा मिली है? आज हम आपतो बताएंगे कि किन-किन जुर्म में महिलाओं को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है. 

बता दें कि आजाद भारत में साल 1955 में रतनबाई को फांसी दी गई थी. रतनबाई को यह सजा तीन लड़कियों की हत्या के आरोप में दी गई थी. 

दरअसल रतनबाई ने पति के साथ अवैध संबंधों के शक में तीनों लड़कियों की हत्या की थी. जिसके बाद कोर्ट के आदेशों पर उसे जनवरी 1955 में उसे फांसी की सजा दी गई थी. 

इसके अलावा 2008 में शबनम वो दूसरी औरत है जिसे मौत की सजा दी गई थी. शबनम को 2008 में अपने परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था. 

जानकारी के मुताबिक शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर इस हत्या को अंजाम दिया था. उस वक्त राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका को खारिज कर दिया था. 

बता दें कि आजाद भारत में अब तक सिर्फ 2 महिलाओं को मौत की सजा सुनाई है. अब केरल के तिरुवनंतपुरम जिले की नेय्याट्टिनकारा अदालत 24 साल की महिला ग्रीष्मा को अपने प्रेमी शेरोन राज की हत्या का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है.