प्लान की यात्रा करते समय लोगों के मन में सवाल जरूर आता होगा कि प्लेन हवा में हजारों  फीट की ऊंचाई पर उड़ता है. 

लेकिन बावजूद इसके प्लेन में टॉयलेट का इस्तेमाल बड़ी ही आसानी के साथ हो जाता है आखिर क्या है इसके पीछे की वजह. चलिए जानते हैं.

प्लेन में जब कोई व्यक्ति टॉयलेट का इस्तेमाल करता है. तो उसका वेस्ट कहां जाता है. 

हवाई जहाज के टॉयलेट  इस्तेमाल करने के बाद फ्लश के पानी साफ नहीं होता. बल्कि वैक्यूम सिस्टम से साफ होता है. 

 इस प्रक्रिया से वेस्ट को पानी से अलग किया जाता है. इसके लिए प्लेन में एक टैंक भी लगाया जाता है. 

दरअसल फ्लाइट्स में वैक्यूम टॉयलेट यूज होते हैं. ये टॉयलेट एक पाइप के जरिए टैंक से अटैच होते हैं.

प्लेन में करीब 200 लीटर का बड़ा सा टैंक लगा होता है। इसी टैंक में सारा ह्यूमन वेस्ट जाता है. 

वैक्यूम टॉयलेट लिक्विड और सॉलिड को अलग कर उसे टैंक में भेजते हैं. 

ये टैंक हर उड़ान के बाद एयरपोर्ट पर खुलता है और इसे खाली किया जाता है. 

यरपोर्ट पर मौजूद कंपनी के कर्मचारी ये काम करते हैं.