आपको मालूम है किस किले को कहा जाता है 'ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया'? जानें

राजस्थान में उदयपुर से 80 किमी उत्तर में स्थित कुंभलगढ़ को ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया कहा जाता है. कुंभलगढ़ किला चित्तौड़गढ़ किले के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला है.

यह किला मेवाड़ ही नहीं पूरे राजस्थान के सबसे विकट दुर्गों की श्रेणी में रखा जाता है. समुद्र तट से दुर्ग की चोटी 3568 फीट और नीचे की नाल 700 फीट ऊंची है.

कुम्भलगढ़ किले को लेकर इतिहास में कई दिलचस्प कहानियां मौजूद हैं. मेवाड़ के इतिहास वीर विनोद के अनुसार महाराणा कुम्भा ने इस किले की ​नींव विक्रमी संवत 1505 में रखी थी.

किले के निर्माण कार्य में अड़चने आने लगी और निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ सका. राणा इस बात से बेहद परेशान हो गए. उन्होंने इससे चिंतित होकर एक संत को बुलाया.

संत ने इस किले की भूमि को देखकर बताया कि इस किले का निर्माण कार्य तभी आगे बढ़ेगा जब इस जगह पर कोई मनुष्य अपनी इच्छा से अपनी बलि देगा.

यह बात सुनने के बाद राणा कुम्भा काफी चिंतित हो उठे. महाराजा को इस अवस्था में देख संत ने कहा कि मैं खुद इस किले के लिए अपनी बलि दूंगा.

उन्होंने राजा से आज्ञा मांगी और कहा कि इसके लिए उसे पहाड़ी पर जाने दिया जाए और जहां पर उसके कदम रुक जाएं वहां उसे मार दिया जाए.

उस स्थान पर देवी का एक मंदिर भी बनाया जाए. संत के बताने के अनुसार ऐसा ही हुआ और वह 36 किलोमीटर चलने के बाद रुक गया.

वहां पर संत का सिर धड़ से अलग कर दिया गया और उस स्थान पर एक देवी के मंदिर का निर्माण करवाया गया. यहीं किले का एक द्वार भी है. सामरिक दृष्टि से अभेद्य कुम्भलगढ़ के निर्माण में लगभग दस वर्ष लगे.

प्रसिद्ध वास्‍तुकार मंडन के पर्यवेक्षण में इसका निर्माण करवाया गया. इसकी दीवार की लंबाई लगभग 36 किमी है और इसकी चौड़ाई 15 से 25 फीट है. इस पर आठ-दस घुड़सवार एक साथ चल सकते हैं.