आपको मालूम है द्रौपदी पांडवों के लिए इस दिव्य बर्तन में क्यों पकाती थीं खाना? जानें
महाभारत काल के दौरान की कई स्मृतियां आज भी शेष हैं जो इतिहास में रूचि रखने वालों और खास तौर पर इतिहासकारों के लिए रुचि का केंद्र रहती है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि द्रौपदी पांडवों के लिए किस बर्तन में भोजन बनाती थी और उन्हें ये बर्तन किसने दिया था. चलिए बताते हैं इसके बारे में.
दरअसल, चौसर के खेल में हारने के बाद धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योंधन ने पांडवों को 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास देने का आदेश दिया था.
द्रौपदी वनवास काल के दौरान तांबे के एक विशेष अक्षय पात्र में ही पांडवों के लिए खाना बनाया करती थी.
द्रौपदी को ये दिव्य अक्षय पात्र वरदान के रुप में सूर्य देव से प्राप्त हुआ था.
अक्षय पात्र एक ऐसा दिव्य पात्र था जिसमें द्रौपदी जब भोजन बनाती थी तो इसका भोजन कभी खत्म नहीं होता था. द्रौपदी के भोजन करने के बाद ही इस पात्र का भोजन अपने आप खत्म हो जाता था.
एक बार रात के समय जब सब पांडव भोजन कर चुके थे तब दुर्योंधन ने दुष्टता दिखाते हुए दुर्वासा ऋषि को पांडवों के पास भोजन करने भेज दिया.
दुर्योंधन ने सोचा था कि अब रात के समय पांडवों का भोजन समाप्त हो चुका होगा और ऋषि दुर्वासा को वहां भोजन नहीं मिलेगा. इससे ऋषि क्रोधित होकर पांडवों को श्राप दे देंगे.
लेकिन अक्षय पात्र की वजह से पांडवों ने ऋषि दुर्वासा को बहुत अच्छे से भोजन करवाया जिससे ऋषि दुर्वासा बहुत प्रसन्न हुए और कुटिल दुर्योधन की चाल नाकाम हुई.