क्या आपको मालूम है हाथ पर कलावा क्यों बांधते हैं? जानें इसके लाभ और महत्व
हिंदू धर्म में जितना महत्व तिलक लगाने का होता है, उतना ही महत्व मौली या कलावा बांधने का भी होता है.
किसी भी शुभ कार्य या पूजा पाठ के प्रारंभ में तिलक के साथ मौली या कलावा बांधा जाता है. यह परंपरा ऋषि मुनियों के काल से चली आ रही है.
धार्मिक शास्त्रों में कलावा का विशेष महत्व बताया गया है. मौली या कलावा भगवान के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है. चलिए जानते हैं हाथ पर मौली या कलावा बांधने के पीछे का महत्व क्या है.
पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि कलावा बांधने से त्रिदेवों के साथ तीनों देवियों मां लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मौली व कलावा को रक्षा सूत्र भी कहते हैं, जो हमारे बुरे समय में रक्षा करता है, इससे घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है. मौली व कलावा बांधने से व्यक्ति का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.
इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. हमारे शरीर की संरचना का प्रमुख नियत्रंण कलाई में होता है, इसलिए मौली धागा एक तरह से एक्यूप्रेशर की तरह काम करता है, जो हृदय रोग, मधुमेह व लकवा जैसे रोगों से सुरक्षा करता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुरुषों और अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ में कलावा या मौली बांधते हैं, जबकि विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में मौली या कलावा बांधा जाता है.
मौली या कलावा बंधाते समय मुट्ठी बंद होनी चाहिए और एक हाथ अपने सिर पर होना चाहिए. पूजा के समय नई मौली बांधनी चाहिए.
इसके अलावा मंगलवार या शनिवार को पुरानी मौली उतारकर नई मौली धारण करनी चाहिए. इससे जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी और कार्य में किसी तरह की तरह की बाधा नहीं आएगी.