आपको मालूम है आसमान का रंग नीला ही क्यों होता है? जानें इसके पीछे का साइंस

आप जब खुले आसमान की तरफ देखते हैं तो पूरा आसमान नीला रंग में दिखाई देता है और शाम होते ही अपना कलर भी चेंज करता है क्या आपको मालूम है कि ऐसा क्यों होता है.

आमतौर पर कई लोगों का मानना है कि समुद्र का रंग नीला होता है इसलिए आकाश का भी रंग नीला होता है लेकिन आपको बता दें कि वैज्ञानिक यह नहीं मानते हैं.

वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका साइंटिफिक रीजन है जिसके कारण आकाश दिन में नीला दिखाई देता है और शाम होते ही अपना कलर बदल लेता है.

आज इसी के बारे में हम आपको बताएंगे कि आखिर इसके पीछे साइंटिफिक रीजन क्या है जिसके कारण आकाश का रंग नीला होता है और समय के अनुसार कलर चेंज भी करता रहता है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक आकाश का रंग नीला होने का कारण सूर्य से कनेक्शन होना है यानी आसान भाषा में समझे तो सूर्य तय करता है कि आकाश का रंग कैसा होगा. 

हमारे धरती के वातावरण में स्मॉल पार्टिकल्स यानी धूल मौजूद होते हैं जो हमें खुली आंखों से दिखाई नहीं देते हैं. 

इन्हीं पार्टिकल्स पर जब सूर्य की रोशनी पड़ती हैं तो यह सात रंगों में टूट जाते हैं जिसे हम विबग्योर कहते हैं. इसमें वॉयलेट, इंडिगो, ब्लू, ग्रीन, येलो, ऑरेंज और रेड शामिल होते हैं.

जब सूर्य की किरणें टूटती है तो सबसे कम तरंगदैर्घ्य ब्लू और इंडिगो की होती है. वहीं सबसे अधिक तरंग रेड कलर की होती है. जिसके कारण इंडिगो और ब्लू रंग अकाश में बिखर जाती हैं, जिसके वजह से आकाश का रंग नीला होता है.

आप सभी ने अक्सर देखा होगा कि सुबह और शाम के समय आसमान का रंग बदल जाता है. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आकाश का रंग ऑरेंज या लाल हो जाता है. इसके पीछे भी साइंस है. 

साइंस के मुताबिक, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य के करीब धरती होता है. उस समय सूर्य का ताप भी कम होता है.

नीले और हरे रंग के तुलना में नारंगी रंग अधिक परिवर्तित होता है जिसके कारण नारंगी रंग बाकी रंगों के मुकाबले हावी हो जाता है इसलिए सुबह और शाम आकाश का रंग लाल या नारंगी होता है.