आपको मालूम है आखिर घर के बाहर क्यों लगाया जाता है राक्षस का मुखौटा? जानें
एक ऐसा राक्षस है जिसे देवी-देवताओं के समान ही दर्जा दिया जाता है. साथ ही यह भी माना जाता है कि यह राक्षस आपके परिवार की किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचाव करता है
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ध्यान में लीन थे. तब राहु, जो अपनी शक्तियों के घमंड में चूर था, उसने ने महादेव के सिर पर विराजमान चंद्रमा को ग्रहण लगा दिया
शिव जी यह देखकर बहुत ही क्रोधित हुए और गुस्से में उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी. तब महादेव ने राहु को मारने के लिए कीर्तिमुख की उत्पत्ति की
महादेव ने कीर्तिमुख को राहु को खाने का आदेश दिया. यह बात सुनकर कीर्तिमुख राहु के पीछे दौड़ पड़ा
यह देखकर राहु महादेव के पैरों में गिर पड़ा और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगने लगा. इससे महादेव को उसपर दया आ गई और उन्हें राहु को क्षमा कर दिया
इसके बाद भगवान शिव दुबारा से ध्यान करने बैठ गए, लेकिन कीर्तिमुख ने भगवान से कहा कि मैं भूखा हूं और अब मैं किसे खाऊं. भगवान शिव ने ध्यान में ही कह दिया कि तुम स्वयं को ही खा लो
तब कीर्तिमुख ने ऐसे ही किया और वह खुद को खाने लगा. तब महादेव का ध्यान टूटा, तो उन्होंने देखा कि कीर्तिमुख ने अपने आप को खा रहा है और उसका केवल मुख और दो हाथ ही शेष बचे हैं
यह देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए कि किस प्रकार उसने महादेव की बात को माना
तब शिव शंकर ने उसे वरदान दिया कि जहां तुम विराजमान हो जाओगे वहां किसी भी प्रकार की नकारात्मकता का वास नहीं होगा