आपको मालूम है करवा चौथ के दिन चांद को छलनी से क्यों देखा जाता है? यहां जानें
सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और तरक्की के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. इस दिन व्रत का श्रद्धा पूर्वक पालन करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है.
यह व्रत कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पूजा करती हैं और व्रत कथा सुनती है.
इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय के साथ करवा माता और चंद्रमा की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं करवा चौथ के दिन चांद को छलनी से क्यों देखा जाता है? चलिए आपको बताते हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा को भगवान गणेश ने कलंकित होने का श्राप देते हुए कहा था कि जो भी चंद्रमा को नग्न आंखों से देखेगा वह कलंकित हो जाएगा.
इसी कारण से करवा चौथ के दिन चांद को छलनी से देखा जाता है. वहीं, छलनी पर दीया रखा जाता है ताकि उसकी रोशनी से कलंक कट जाए.
मान्यता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के दर्शन करने से छेदों की संख्या जितनी प्रतिबिंब दिखते हैं. अब छलनी से पति को देखते हैं तो पति की आयु भी उतनी ही गुना बढ़ जाती है.
इसलिए करवा चौथ का व्रत करने के बाद चांद को देखने और पति को देखने के लिए छलनी प्रयोग की जाती है इसके बिना करवा चौथ अधूरा है.
करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत का पालन किया जाता है. करवा चौथ में चंद्रमा विशेष महत्व है.