क्या आपको पता है ओलंपिक रिंग्स अलग-अलग कलर के क्यों बनाए जाते हैं? ये है वजह
ओलंपिक के लोगो को साल 1913 में बनाया गया था. पहले इस लोगो को ओलंपिक सिंबल कहा जाता था, लेकिन बाद में इन्हें ओलंपिक रिंग्स कहा जाने लगा
इस लोगो को पिअर डे कोबेर्टिन ने डिजाइन किया था. इस लोगो को बनाने का मुख्य उद्देश्य था कि खिलाड़ियों में खेल भावना बनी रहे
लोगो में 5 रिंग्स एक ही आकार के बनाए गए. इसके साथ ही इनको अलग रंग दिया गया. इन रंगों में नीला, पीला, काला, हरा और लाल शामिल किया गया
इन ओलंपिक रिंग्स को लेकर लोगों का ये मानना है कि हर एक रिंग एक अलग महाद्वीप को दर्शाता है और इन्हीं पांच महाद्वीप के खिलाड़ी इस खेल महाकुंभ में हिस्सा लेते हैं
दरअसल, सच ये नहीं है. ओलंपिक चार्टर के अनुसार, ओलंपिक सिंबल ओलंपिक के मूवमेंट को दर्शाता है
जब 1913 में इस सिंबल को बनाया गया तब झंडे के सफेद बैकग्राउंड के साथ उस समय के सारे देशों के झंडों को एक साथ मिलाकर 5 अलग-अलग रंग बनाए गए थे
ऐसा कहा जाता है कि इसकी वजह ये थी कि हर झंडे के रंगों को इन पांच रंगों में बदलकर पूरे विश्व की एकता को दिखाना था
ऐसा कहना कि ये रिंग्स सिर्फ किसी एक महाद्वीप को दर्शाते हैं. ये पूरी तरह से सच नहीं है