क्या आपको मालूम है अंतिम संस्कार में परिक्रमा के बाद मटकी क्यों फोड़ते हैं ? जानें
जो लोग इस दुनिया में जन्म लेते हैं उसे एक ना एक दिन जाना ही पड़ता है. धर्म के हिसाब से अंतिम संस्कार के तरीके तय किये जाते हैं.
हिंदु धर्म में अंतिम संस्कार से जुड़ी कई परम्पराएं होती है. लोग इन नियम के हिसाब से ही क्रिया-कर्म करते हैं ताकि जाने वाले की आत्मा को शांति मिल सके.
आपने गौर किया होगा कि जब भी हिंदू धर्म में जब किसी शव का अंतिम संस्कार किया जाता है तब शव की परिक्रमा छेद वाले मटके के साथ की जाती है. इसके बाद मटके को फोड़ दिया जाता है.
अंतिम संस्कार के दौरान शव को चिता पर लिटा कर उसके चारों तरफ परिक्रमा की जाती है. इस दौरान कंधे पर पानी भरे मटके को रखा जाता है.
पानी भरे मटके में छेद कर उसे कंधे पर रखकर परिक्रमा करने के पीछे एक दार्शनिक संदेश छुपा है. कहा जाता है कि जीवन एक छेद वाला घड़ा के समान है.
मटके में छेद होने के कारण जिस तरह से पानी टपकता है ठीक उसी तरह आयु रूपी पानी हर समय टपकता रहता है और अंतिम में सबकुछ छोड़कर जीवात्मा चला जाता है.
छेद वाले मटके को लेकर परिक्रमा करने के पीछे का उद्देश्य मरे हुए व्यक्ति की आत्मा और जीवित व्यक्ति दोनों का एक-दूसरे से मोह भंग करना है.
बता दें कि छेद मटके में पानी को लेकर परिक्रमा करने के पीछे एक कारण यह भी बताया जाता है कि पहले के समय में शवों को खेतों में जलाया जाता है.
अंतिम संस्कार में परिक्रमा के बाद मटकी इसलिए फोड़ा जाता है ताकि जब शव जले तो आग सिर्फ उसी एरिया में रह जाए इसके लिए मटके में पानी भरकर शव के चारों और परिक्रमा किया जाता था.