आपको मालूम है छठ पूजा का प्रसाद क्यों मांगकर खाया जाता है? जानें इसकी मान्यता
लोक आस्था का महापर्व छठ महापर्व खासतौर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इसमें महिलाएं सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना करती हैं और 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं. इसे सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है.
इस त्योहार में कद्दू भात, खरना रसियाव रोटी और ठेकुआ ये तीन तरह के प्रसाद पूजा के लिए बनाए जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इस पर्व में लोग छठ पूजा के प्रसाद को क्यों मांग कर खाते हैं
बहुत से लोगों को इसके बारे में नहीं पता है इसलिए आइए जानते हैं कि इस महापर्व में लोग एक दूसरे से क्यों प्रसाद मांग कर खाते हैं.
पौराणिक मान्यताओं की मानें तो, छठ पूजा के त्योहार में प्राकृतिक पकवान और मिठाई का बहुत महत्व बताया गया है. इस छठ पूजा में प्रसाद के रूप में सब्जी, फल और फूलों का बहुत महत्व है.
छठ पूजा के प्रसाद को एक दूसरे से मांग कर खाने को लेकर यह मान्यता है कि छठ का प्रसाद मांग कर खाने से भगवान सूर्य देव और छठी मैया के प्रति भक्तों की आस्था प्रकट होती है.
कहा जाता है कि, छठ पूजा का प्रसाद मांग कर खाने से छठी मैया और सूर्य देव का मान सम्मान बढ़ता है. प्रसाद मांग कर खाने से शरीर के दुर्गुण दूर होते हैं और छठी मैया भक्तों से प्रसन्न होती है और कृपा करती हैं.
लोक मान्यता है कि छठ पूजा के प्रसाद को मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए और नहीं कोई प्रसाद बांट रहा हो तो उसे मना करना चाहिए.
पंडित विकास शास्त्रत्ती के अनुसार, छठ पर्व का प्रसाद मांगकर खाने से शरीर से दुर्गुण दूर होते हैं. छठ प्रसाद मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए और कोई प्रसाद दे रहा है तो उसे मना नहीं करना चाहिए.
बहुत से लोग कई बार अनजाने में छठी मैया के प्रसाद को ले लेते हैं और तुरंत खाने के बजाए कहीं भी रखकर भूल जाते हैं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए.
प्रसाद को लेने के बाद नहीं खाने और न लेने से प्रसाद और छठी मैया का अपमान होता है. छठी मैया प्रसाद के अपमान से नाराज हो सकती है. इसलिए ऐसी गलती भूलकर भी न करें.