शराब पीने के बाद अक्सर देखा जाता है कि लोग खुलकर बातें करने लगते हैं और बिना किसी झिझक के अपनी फीलिंग्स व्यक्त करते हैं.

इस वजह से कई बार ऐसा लगता है कि लोग नशे में ज्यादा ईमानदार हो जाते हैं, क्योंकि वे उन बातों को कह देते हैं, जिन्हें वे नार्मल स्थिति में छिपा सकते हैं. 

लेकिन क्या ये सच में सच है? आइए इस मिथक को समझते हैं और जानते हैं कि शराब का हमारे दिमाग पर क्या असर होता है.

शराब का असर दिमाग के उस हिस्से पर पड़ता है, जो हमें सावधान रखने में मदद करता है. इस कारण लोग नशे में ज्यादा भावुक और बेपरवाह हो जाते हैं.

हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वे हर समय सच बोल रहे होते हैं, बल्कि वे भ्रमित भी हो सकते हैं. 

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दरअसल, शराब पीने से हमारी निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में हम सही और गलत में फर्क करना भूल जाते हैं. 

साथ ही शराब पीने के बाद इंसान की भावनाओं पर भी असर पड़ता है. जिसके कारण इंसान की भावनाएं बेकाबू हो जाती हैं.

इसके अलावा शराब पीने के बाद हमारी सोचने समझने की क्षमताओं पर भी असर पड़ता है. जिससे हम कठिन बातों को समझने में असमर्थ हो जाते हैं.

यह मानना कि शराब पीने से इंसान सच बोलता है, एक मिथक है. शराब पीने से हमारी सोच और भावनाएं प्रभावित होती हैं, जिससे हम जो बोलते हैं, वो हमारी असल भावनाएं नहीं होतीं हैं. 

शराब पीने से लोग अक्सर बेबाक हो जाते हैं और ऐसी बातें कह देते हैं जो आमतौर पर सामान्य हालत में नहीं कहेंगे. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वो सच बोल रहे हैं.