नवरात्रि में यहां महिलाएं नहीं पुरुष साड़ी पहनकर खेलते हैं गरबा, अनोखी है परंपरा
देश भर में नवरात्रि पर्व की धूम शुरू हो गई है. इस खास मौके पर अहमदाबाद के पुराने शहर के केंद्र में एक अनूठी परंपरा सभी का ध्यान आकर्षित करती है.
यहां पुरुष महिलाओं की तरह तैयार होकर साड़ी पहनते हैं और एक प्राचीन अभिशाप का सम्मान करने के लिए गरबा खेलते हैं.
पीढ़ियों से चली आ रही भक्ति और लिंग-भेद रीति-रिवाजों की एक अनोखी कहानी के बारे में आज हम बताते हैं विस्तार से.
साधु माता गली और अंबा माता मंदिर में 200 साल पुरानी एक रस्म हर साल नवरात्रि की आठवीं रात को सामने आती है, जब बरोट समुदाय के पुरुष साड़ी पहनते हैं और एक प्राचीन अभिशाप का सम्मान करने के लिए गरबा करते हैं.
यह अनुष्ठान सिर्फ एक नृत्य नहीं है; यह इतिहास, किंवदंती और विश्वास में डूबी एक गहरी परंपरा है.
स्थानीय मान्यता के अनुसार, 200 साल से भी पहले सादुबा नामक एक महिला ने बरोट समुदाय के पुरुषों से सुरक्षा मांगी थी जब एक मुगल रईस ने उसे रखैल के रूप में रखने की मांग की थी.
दुख की बात है कि पुरुषों ने उसका बचाव नहीं किया, जिससे उसके बच्चे की दुखद मृत्यु हो गई.
अपने दुःख और क्रोध में सादुबा ने पुरुषों को श्राप दिया, यह घोषणा करते हुए कि उनकी आने वाली पीढ़ियां कायरों के रूप में पीड़ित होंगी, और 'सती' हो गईं.
सादु माता नी पोल, जिसमें 1,000 से अधिक निवासी रहते हैं, अष्टमी की रात को जीवंत हो उठता है. संकरी गलियों और पुराने ढंग के घरों से भरा यह पोल अहमदाबाद की विरासत का एक जीवंत अवशेष है.
पीढ़ियों से चली आ रही लोकनृत्य शेरी गरबा की धुनों पर सुंदर ढंग से झूमते हुए साड़ी पहने पुरुषों को देखने के लिए भीड़ उमड़ती है.