1. काम (वासनाओं का प्रतीक) काम का सिर रावण की अनियंत्रित वासना का प्रतीक है. इसी वासना के कारण उसने सीता का हरण किया, जो अंततः उसकी मृत्यु का कारण बना.
2. क्रोध (गुस्से का प्रतीक) रावण का क्रोध इतना भयंकर था कि वह बिना सोचे-समझे अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए कोई भी सीमा पार कर सकता था.
3. लोभ (लालच का प्रतीक) रावण का एक सिर उसकी असीमित लालच का प्रतीक है. वह सारा संसार और सभी वस्तुओं को अपने अधिकार में करना चाहता था.
4. मोह (आसक्ति का प्रतीक) मोह का सिर रावण की भौतिक और सांसारिक वस्तुओं के प्रति आसक्ति को दर्शाता है. उसने अपनी शक्ति और संपत्ति के प्रति इतना मोह बना लिया था कि वह सही और गलत का फर्क भूल गया.
5. अहंकार (घमंड का प्रतीक) अहंकार रावण के पतन का सबसे बड़ा कारण बना। वह अपने ज्ञान और शक्तियों पर इतना घमंड करता था कि उसने भगवान राम और अन्य देवताओं को भी चुनौती दे दी.
6. मद (अहंकार और गर्व का प्रतीक) रावण के सिरों में मद का सिर उसकी शक्ति और वीरता पर अत्यधिक गर्व को दर्शाता है. वह अपने बल और बुद्धि के कारण स्वयं को सबसे श्रेष्ठ समझने लगा था.
7. ईर्ष्या (जलन का प्रतीक) रावण की ईर्ष्या उसे दूसरों की सफलता और अच्छाई से जलने के लिए प्रेरित करती थी. राम की शक्ति और सीता की पवित्रता से उसकी ईर्ष्या ने उसे अधर्म के मार्ग पर धकेला.
8. चिंता (अशांति का प्रतीक) रावण का एक सिर उसकी अंतर्निहित चिंता और असुरक्षा को दर्शाता है. बाहरी रूप से शक्तिशाली होने के बावजूद, वह भीतर से चिंतित और असुरक्षित था, जो उसे शांति से जीने नहीं देती थी.
9. द्वेष (विद्वेष और प्रतिशोध का प्रतीक) रावण का द्वेषमूलक स्वभाव उसे दूसरों के प्रति नफरत और प्रतिशोध की भावना से भर देता था. वह कभी किसी की गलती माफ नहीं करता था.
10. अज्ञान (सच्चे ज्ञान का अभाव) रावण, एक महान विद्वान होते हुए भी सच्चे आत्म-ज्ञान से वंचित था। उसका अंतिम सिर उसके अज्ञान और आध्यात्मिक अंधकार का प्रतीक है.