इन मजदूरों के अंतिम संस्कार में नहीं जलते हैं पैर, वजह जानकर रह जाएंगे दंग

नमक का हमारे जीवन में खास स्थान है, लेकिन गुजरात के नमक उत्पादन क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों की हालत बहुत गंभीर होती है.

इन्हें "अगरिया" कहा जाता है और ये मजदूर सालों तक नमक के खेतों में काम करते हैं, जहां सूरज की तपिश और नमक के प्रभाव से उनकी स्थिति बेहद कठिन हो जाती है.

गुजरात के खाराघोड़ा क्षेत्र में लगभग 50,000 मजदूर काम करते हैं.

ये मजदूर नौ महीने तक नमक के खेतों में होते हैं, जहां सफेद मैदानों के बीच उन्हें कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है.

जब इन मजदूरों की मौत होती है, तो अक्सर उनके पैर चिता में नहीं जलते.

इसका कारण ये है कि नमक के संपर्क में आने से उनके शरीर की त्वचा कठोर हो जाती है, विशेष रूप से उनके पैरों पर एक मोटी परत जम जाती है, जो जलने से रोकती है.

यह स्थिति इतनी गंभीर होती है कि कभी-कभी उनके पैरों को दोबारा आग में डालकर जलाना पड़ता है.

नमक के खेतों में काम करने वाली महिलाएं और बच्चे भी इस कठिनाई का सामना करते हैं.

इस वजह से इन मजदूरों की मौत के बाद उनके शरीर के कुछ हिस्से जलने में मुश्किल पैदा करते हैं.