राजस्थान के बीकानेर की कला व संस्कृति पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखती है. यहां का अग्नि नृत्य भी पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं बीकानेर से 50 किलोमीटर दूर कतरियासर गांव की. यहां एक समाज के लोग अंगारों को मुंह में भी लेते हैं.
आपको बता दें यहां के लोग पांच दिवसीय आसोज मेला मनाया जा रहा है, जिसे जसनाथी संप्रदाय के जरिए मनाया जाता है
कतरियासर गांव में सिद्ध समाज के लोगों द्वारा किए जाने वाले अग्नि नृत्य करते हैं साथ ही अंगारों को मुंह में भी लेते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि जसनाथ सम्प्रदाय के लोग 550 वर्षों से अधिक समय से इस परंपरा को निभा रहे है.
इस गांव के लोग बेधड़क ये दहकते अंगारों पर नाचते जाते हैं. वहां बज रहा संगीत का शोर इनका जोश और बढ़ा देता है.
कहते हैं कि बाबा जसनाथ जी महाराज के विशेष पुजारियों को एक आर्शीवाद हासिल है जिसके चलते इनके पांव आग पर नाचने से जलते नहीं है.
इसके अलावा कई लोग तो कहते है कि बाबा के साधु ना सिर्फ आग पर नाचते है. जलते अंगारों को निगल भी जाते हैं.
जानकारी के अनुसार जसनाथी संप्रदाय एक निर्गुण संप्रदाय है जिसकी उत्पत्ति 15वीं शताब्दी में गुरु जसनाथजी (1539-1563) के आधार पर बीकानेर में हुई थी.
इसके अधिकांश लोग जाट जाति से हैं. जिन्हें जसनाथी संप्रदाय के लोग कहते है. इन्हीं के जरिए अग्नि नृत्य किया जाता है.