एक ऐसे CJI जिनके पास नहीं थी लॉ की डिग्री, फिर कैसे बने भारत के मुख्य न्यायाधीश

भारत के 10वें मुख्य न्यायाधीश कैलाश नाथ वांचू के पास लॉ की डिग्री नहीं थी. वे मूलतः कश्मीर के रहने वाले कश्मीरी पंडित थे.

कैलाश नाथ वांचू बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे. ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद उन्होंने 1924 में इंडियन सिविल सर्विस ज्वाइन कर ली थी. 

ICS ज्वॉइन करने के बाद जस्टिस वांचू ट्रेनिंग के लिए लंदन चले गए. ICS की ट्रेनिंग के बाद उन्होंने क्रिमिनल लॉ की पढ़ाई की. 

विदेश से जब वे लौटे तो उन्हें उत्तर प्रदेश में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट एवं कलेक्टर बनाया गया

वे 10 साल तक अलग-अलग जिलों में कलेक्टर के रूप में सेवारत रहे. साल 1937 के आस-पास जिला-सत्र न्यायाधीश बन गए.

कैलाश नाथ वांचू 1951-58 तक राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे. इसके बाद वे 11 अगस्त 1958 को सुप्रीम कोर्ट आ गए. 

जब साल 1967 में तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के. सुब्बाराव ने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने का फैसला किया तो वांचू को अचानक भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

चूंकि, जस्टिस के.एन. वांचू अनुभव में बाकी न्यायाधीशों से आगे थे. इसलिए, उन्हें भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

जस्टिस कैलाश नाथ वांचू 24 अप्रैल 1967 से 24 फरवरी 1968 तक देश के मुख्य न्यायाधीश रहे.