कारगिल युद्ध को लेकर PAK के पूर्व कर्नल का खुलासा, हारने की बताई ये वजह
पाकिस्तान के पूर्व सैन्य अफसरों ने भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में हुए कारगिल युद्ध को अपने देश की एक रणनीतिक भूल करार दिया है
जिसे इसके साजिशकर्ता और पाकिस्तानी सैन्य तानाशाह दिवंगत जनरल परवेज मुशर्रफ ने सफलता की कहानी के रूप में सराहा था
पूर्व कर्नल अशफाक हुसैन कहते हैं कि कारगिल में घुसपैठ एक बड़ी भूल और विफलता थी, यह पाकिस्तान के लिए आपदा साबित हुई
इसने भारत व पाकिस्तान के बीच लाहौर शिखर सम्मेलन समझौते का भी उल्लंघन किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया
यहां तक कि उसने अपने सैनिकों के शवों को भी स्वीकार नहीं किया. इन शवों को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा दफनाया गया, जो पाकिस्तानी सेना के लिए अपमानजनक था
उन्होंने कहा कि मई-जुलाई 1999 के दौरान हुआ कारगिल युद्ध पाकिस्तान के कुछ वरिष्ठ सैन्य अफसरों का निर्णय था
इन अधिकारियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पूरी तरह से विश्वास में लिए बिना ही ऑपरेशन शुरू किया था
ऑपरेशन का मुख्य लक्ष्य कश्मीर और लद्दाख के बीच संपर्क काटना, राष्ट्रीय राजमार्ग-1 को बाधित करना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से पीछे हटने को मजबूर करना था
साजिशकर्ताओं का मानना था कि यह ऑपरेशन भारत को पीछे हटने और इस्लामाबाद की शर्तों पर कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर करेगा
1999 में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सैनिकों से पहले ही कारगिल, द्रास और बटालिक की रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चौकियों पर कब्जा कर लिया था
इसके बाद भारतीय सेनाओं ने अपनी चौकियों पर दोबारा काबिज होने के लिए 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया
पाकिस्तानी सैन्य अफसरों को उम्मीद थी कि कारगिल की ऊंची चोटियों पर उसके कब्जे से भारतीय सेना सियाचिन से हट जाएगी
और अंतरराष्ट्रीय समुदाय स्थिति को सामान्य करने के लिए हस्तक्षेप करेगा. इससे एलओसी पर पाकिस्तान को फायदा होगा
शुरू में हमले से अनभिज्ञ होने का दावा करने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इसकी जानकारी थी, लेकिन इसके परिणाम का उन्हें अंदाजा नहीं था
शरीफ का विचार रहा होगा कि यदि ऑपरेशन सही चलता है, तो वह कश्मीर के विजेता के रूप में इसे स्वीकार लेंगे
लेकिन योजना पर उनकी सीमित जानकारी और भारत की जवाबी आक्रामक रणनीति का सही आकलन नहीं होने के कारण शरीफ ने घटनाक्रम से अनजान बने रहना पसंद किया
पूर्व कर्नल अशफाक हुसैन कहते हैं, ''कारगिल ऑपरेशन 1971 के आत्मसमर्पण से भी कहीं बड़ी भूल थी''