कौन से कागज से बनता है भारतीय रुपये, जानें कुछ रोचक तथ्य
लेनदेन का प्रचालन सदियों पुराना है. प्राचीन काल में सिक्कों के आविष्कार से पहले लोग वस्तुओं का लें देन करते थे जिससे निष्पक्षता हमेशा सवालों के घेरे में रहती थी.
सिक्कों के आविष्कार से इस समस्या का समाधान हुआ. इसी तरह जरुरत के हिसाब से नोटों का इस्तेमाल शुरू हुआ फिर डिजिटल पेमेंट्स का.
वर्ष 1935 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की स्थापना हुई जिसके बाद से भारत में नोट छापने की शक्ति केवल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास है.
RBI एक्ट, 1934 के सेक्शन 24 के मुताबिक 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500, 1000 और 2000 के नोट के अलावा 5000 और 10000 रुपये तक के नोट को छापा जा सकता है.
RBI द्वारा 1938 में 10,000 रुपये का नोट प्रिंट किया गया था और 1946 में इसे बंद कर दिया गया. ये भारत का सबसे अधिक मूल्य वाला नोट था.
भारतीय नोट पर कुल 15 भाषाएं लिखी होती हैं. ये भाषाएं क्रमशः असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु और उर्दू हैं.
RBI द्वारा जारी किए गए पहले नोट का मूल्य पांच रुपये था. इस पर किंग जॉर्ज VI की तस्वीर छपी हुई थी. लेकिन आज़ाद भारत में छपने वाले पहले नोट का मूल्य एक रुपया था.
बैंक ऑफ हिंदुस्तान, बंगाल में जनरल बैंक और बंगाल बैंक, वे पहले बैंक थे, जिन्होंने पेपर करेंसी को जारी किया था. भारत में बैंकनोट का कागज 100 फीसदी कॉटन से बनाया जाता है.