क्या कुत्ते के नाम अपनी वसीयत लिख गए थे महाराज माधोराव सिंधिया?
ग्वालियर राजघराने के महाराज माधवराव सिंधिया ने महज 10 साल की उम्र में राजकाज संभाल लिया था. 1886 में वे सिंहासन पर आसीन हुए थे.
महाराजा माधवराज सिंधिया से जुड़ा एक बेहद ही दिलचस्प किस्सा शायद ही आपको पता होगा.
बता दें कि माधवराव सिंधिया जानवरों से बहुत प्यार करते थे. इसी वजह से उनके महल में तमाम तरह के पालतू जानवरों को पाला गया था.
इन पालतू जानवरों में एक कुत्ता भी शामिल था, जिससे महाराजा माधवराव सिंधिया का बहुत लगाव था.
लेखक रशीद किदवई अपनी किताब द हाउस ऑफ सिंधियाज में लिखते हैं कि महाराजा माधवराव सिंधिया को जानवरों से काफी लगाव था.
जिसमें एक हुस्सू नाम का कुत्ता था. जिससे माधवराव सिंधिया का एक आत्मीय जुड़ाव था.
साल 1925 में जब माधवराव सिंधिया बीमार हुए तो उन्हें हुस्सू की चिंता सताने लगी. पेरिस में इलाज करवा रहे सिंधिया ने महारानी चिनकू राजे को अपने पास बुलाकर कहा था कि उनकी मौत के बाद हुस्सू की देखरेख में कोई कमी नहीं होनी चाहिए.
माधवराव सिंधिया ने जब अपनी वसीयत लिखी तो उसमें कुछ हिस्सा हुस्सू के नाम पर भी रखा गया.
इस पैसे को हुस्सू की देखभाल और उसकी बीमारी पर खर्च करने के आदेश माधवराव सिंधिया ने दिए थे.
हालांकि महाराजा सिंधिया के निधन के बाद 5 साल तक हुस्सू जिंदा रहा, बाद में जब उसकी मौत हुई तो उसके नाम पर एक स्मारक भी बनवाया गया.