हाडीका-मात्सुरी फेस्टिवल में नंगे होकर करते हैं ये काम, क्या है मान्यता?

पसीनों से लथपथ हजारों की संख्या में पुरुष बिना कपड़ों के एक खास त्योहार मनाने के लिए मंदिर में पहुंचे. ये नजारा जापान का था.

इसे हाडीका-मात्सुरी फेस्टिवल कहा जाता है. सबसे पहले इस त्योहार का आयोजन ओकायामा के प्रसिद्ध सैदाईजी मंदिर में हुआ था.

ये 1250 साल पुराना है. सर्द मौसम के बीच त्योहार में शामिल हजारों लोग पानी से होकर गुजरते हैं, जो इससे गुजरे उसे पवित्र माना जाता है.

हाडीका-मात्सुरी को हर साल फरवरी में मनाया जाता है. इस साल त्योहार को आखिरी बार मनाया गया है.

इसके पीछे का कारण ये है कि जापान में युवा आबादी घट गई है, जिसके कारण त्योहार के काम का बोझ भी बुजुर्गों के कंधों पर ही आया है. 

इसे नेकेड मैन फेस्टिवल भी कहा जाता है. त्योहार में शामिल लोगों को केवल लंगोट पहननी होती है. इसे जापान के दक्षिणी हिस्से होन्शू आइलैंड पर मनाया जाता है.

त्योहार की शुरुआत महिलाओं के नृत्य से होती है. शाम के समय लोग मंदिर के चारों ओर परिक्रमा लगाते हैं. रात के वक्त पुजारी मंदिर की ऊंची खिड़की से लोगों पर टहनी के बंडल और छड़ फेंकते हैं.

मान्यता है कि उसके लिए साल शुभ होता है. त्योहार में एक स्थानीय व्यक्ति को शिन-ओटोको यानी गॉड मैन के रूप में चुना जाता है.

मंदिर आने पर लोगों को गॉड मैन को छूना होता है. हालांकि इस बार हजारों साल पुराने त्योहार को आखिरी बार मनाया गया.