इस जनजाति का नाम हड्ज़ा है, जो अफ्रीका तंजानिया की ईयासी झील और उसके आसपास की गुफाएं व दरारें, हजारों सालों से रहते हैं.
ये जनजाति अभी तक पूरी तरह सभ्य नहीं हुए हैं. इन्हें न तो खेती करनी आती है, न ही मवेशियों की जनसंख्या बढ़ाना, यहां तक खुद के लिए स्थाई घर भी बनाना इनके लिए लोहे के चने चबाने जैसे है.
इस जनजाति के लोग शिकार के लिए खुद से बनाई तीर-धनुष का इस्तेमाल करते हैं. हद्जा के लोग बंदर, लंगूर, पक्षी, हिरण और जंगली भैंसों का शिकार कर खुद को जीवित रखते हैं.
माना जाता है कि इनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा, इंसानों के समझ में सबसे पुरानी है. हद्जा के लोग न सिर्फ आवाज निकालकर बाते करते हैं, बल्कि उनकी बोली भी काफी लयबद्ध होती है.