आखिर क्यों हनुमान जी को लेना पड़ा था पंचमुखी अवतार? जानें इसके पीछे का रहस्य

आज यानी शनिवार (12 अप्रैल) को भगवान हनुमान के प्रकट होने का पावन दिन मनाया जाएगा. इस पर्व पर हनुमान जी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है.

हनुमान जी स्वरूपों में एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी रूप है पंचमुखी हनुमान. ये स्वरूप न केवल अद्भुत शक्ति और वीरता का प्रतीक है, बल्कि आत्मविश्वास, साहस और संकटों से लड़ने की प्रेरणा भी देता है. 

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और श्रीराम कथावाचक पं. मनीष शर्मा के अनुसार पंचमुखी स्वरूप की कथा भगवान राम और रावण के बीच हुए युद्ध से जुड़ी है. 

जब ये युद्ध अपने चरम पर था, तब रावण को लगा कि श्रीराम को रोक पाना असंभव है. तब उसने अपने मायावी भाई अहिरावण को बुलाया. अहिरावण माता भगवती का उपासक और पाताल लोक का अधिपति भी था. 

अपनी मायावी शक्तियों से अहिरावण ने श्रीराम, लक्ष्मण और पूरी वानर सेना को बेहोश कर दिया.

इसके बाद उसने श्रीराम-लक्ष्मण को बंदी बना लिया और पाताल लोक ले गया. युद्ध भूमि से जब माया का प्रभाव खत्म हुआ, तब हनुमान जी और विभीषण को सच्चाई का आभास हुआ. 

विभीषण ने हनुमान जी को बताया कि ये सब अहिरावण ने किया है. अहिरावण ने माता भगवती को प्रसन्न करने के लिए पाताल में पांच दिशाओं में दीपक जलाए हुए हैं.

जब तक ये पांचों दीपक जलते रहेंगे, तब तक अहिरावण को कोई नहीं मार सकता. अहिरावण का अंत करने के लिए इन पांचों दीपों को एक साथ एक ही समय पर बुझाना होगा. 

हनुमान जी पाताल लोक पहुंचते हैं. वहां उन्हें पांच जलते हुए दीपक दिखाई दिए. इन पांचों को दीपों को एक साथ बुझाने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया.

पंचमुखी स्वरूप यानी हनुमान जी के पांच मुख हनुमान मुख, नरसिंह मुख, वराह मुख, गरुड़ मुख, हयग्रीव मुख शामिल है. 

इस दिव्य पंचमुखी रूप से हनुमान जी ने एक साथ पांचों दीपकों को बुझा दिया. जैसे ही दीपक बुझे, अहिरावण की सारी शक्तियां समाप्त हो गईं और हनुमान जी ने उसका वध कर दिया.